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सीएम केजरीवाल की बढ़ीं मुसीबतें, दिल्ली में हो सकते हैं मध्यावधि चुनाव

kejriwal सीएम केजरीवाल की बढ़ीं मुसीबतें, दिल्ली में हो सकते हैं मध्यावधि चुनाव

नई दिल्ली। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। एक के बाद एक मुसीबतें अब उनके लिए एक बड़ा संकट लेकर आ सकती हैं। आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों अब चुनाव आयोग से बड़ा झटका मिला है। चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि लाभ के पद वाले मामले में फंसे 21 विधायकों के खिलाफ वह सुनवाई जारी रखेगा। इसके बाद से आम आदमी पार्टी में एक बड़ा संकट आ सकता है। बीते कई दिनों से आम आदमी पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

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पार्टी अपनी अन्तर्कलह से तो जूझ ही रही है। ऊपर से प्रवर्तन निदेशालय के तरफ से भी पार्टी को तगडा झटका मिल चुका है। तो वहीं पार्टी में कभी साथी रहे और सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं। वैसे भी पंजाब और गोवा में मिली करारी मात से आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। इसके बाद एक के बाद एक आरोपों की झड़ियां लगती जा रही हैं। लेकिन अब आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ी मुसीबत चुनाव आयोग का ये फैसला बन गया है। सूत्रों की माने तो चुनाव आयोग इस मामले में अपनी सुनवाई जल्द ही पूरी कर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति के पास भेज देगा।

इस मामले में प्रशांत पटेल नाम के एक व्यक्ति ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के खिलाफ लाभ के पद के मामले को लेकर चुनाव आयोग में एक याचिका दायर की थी। इस मामले की शुरूआत 15 मार्च 2015 को दिल्ली सरकार द्वारा 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति किए जाने का फैसला लिया था। इसके बाद 19 जून 2015 को ही प्रशांत पटेल ने इस मामले में राष्ट्रपति के पास पत्र लिखकर इस मामले से अवगत कराया था। इस पत्र को राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग को भेज दिया था। जिसके बाद आम आदमी पार्टी की सरकार ने 24 जून को बिना केन्द्र सरकार को अवगत कराए संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से अलग करने का निर्णय लिया था। इसी बीच हाईकोर्ट ने 8 सितंबर 2016 को एक फैसला देते हुए आम आमदी पार्टी के विधायकों की इस पद पर नियुक्त पर रोक लगाते हुए, इन पदों का सृजन खत्म कर दिया था। इसी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने संसदीय सचिव के पद को गैरकानूनी भी करार दिया है।

अब आम आदमी पार्टी और उसके विधायकों ने इस मामले को चुनाव आयोग से अपील करते हुए इस सुनवाई को रोकने की गुजारिश की थी। जिसको चुनाव आयोग ने खारिज करते हुए इसकी पूरी सुनवाई करके अपनी अन्तिम रिपोर्ट भेजने की बात कही है। अगर ऐसा होता है तो अरविंद केजरीवाल के लिए दिल्ली में एक बड़ा संकट उनकी सरकार के लिए आ सकता है। ऐसे में उनके लिए उठे इस संवैधानिक संकट के बाद शायद सीएम केजरीवाल केन्द्र सरकार और अधिकारियों के बीच उनके टकराव को मुद्दा बनाकर मध्यावधि चुनाव में जा सकते हैं। अगर केजरीवाल ने ऐसा किया तो इस साल के अन्त तक दिल्ली में चुनाव की आहट सुनने को मिल सकती है।

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