नई दिल्ली। एक तरफ त्रिपुरा में चुनावों का बिगुल बज चुका है तो वहीं त्रिपुरा की सत्ता पर काबिज सीपीआईएंम के नेताओं के बीच में दूरियां बढ़ती जा रही है। मिली जानकारी के मुताबिक सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी और प्रकाश करात के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं। बीते दो दिनों में येचुरी दो बार अपना इस्तीफा पोलित ब्यूरो को सौंप चुके हैं, लेकिन दोनों बार ही पोलित ब्यूरो ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया। इस मामले को लेकर येचुरी ने बताया कि ड्राफ्ट रेजोल्यूशन पर फैसला लेने के लिए शानिवार और रविवार को पोलित ब्यूरो की मीटिंग चल रही थी इसलिए मैंने दोनों दिन अपना इस्तीफा पोलिस ब्यूरो को सौंपा, लेकिन उन्होंने मेरा इस्तीफा आस्वीकार कर दिया। इसलिए पार्टी का सम्मान करते हुए मैं पद पर बना हुआ हूं।
इसके लिए उन्होंने कांग्रेस पर अरोप लगाते हुए कहा कि इस महाभारत का कुरुक्षेत्र कांग्रेस पार्टी है। आपको बता दें कि येचुरी का इस्तीफा ऐसे समय पर आया है जब सीपीआई(एम) में दोनों धड़े येचुरी और प्रकाश करात के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं। इस मतभेद के पीछे कारण बताया जा रहा है कि येचुरी 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहते हैं, जबकि प्रकाश करात ऐसा नहीं चाहते। पार्टी सूत्रों के मुताबिक येचुरी ने इसलिए इस्तीफा देने का फैसला लिया, क्योंकि सेंट्रल कमिटी ने उनके विचारों को स्वीकार नहीं किया। हालांकि, अपने रेज़ोल्यूशन में येचुरी ने कहीं भी कांग्रेस के साथ आधिकारिक रूप से गठबंधन की बात नहीं कही थी।
सेंट्रल कमिटी की मीटिंग में दोनों नेताओं ने अपने-अपने रेज़ोल्यूशन का ड्राफ्ट पेश किया था,जिसमे येचुरी के ड्राफ्ट को ठुकरा दिया, जबकि प्रकाश करात के ड्राफ्ट को ज्यादा वोट मिले हैं। वहीं अब 17 अप्रैल को हैदराबाद में होने वाले सेंट्रल कमिटी की मीटिंग में करात के रेज़ोल्यूशन ड्राफ्ट को रखा जाएगा। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि येचुरी के महासचिव का पद धीरे-धीरे कमजोर पड़ता जा रहा है और प्रकाश करात के ड्राफ्ट को अप्रैल की मीटिंग में मंजूरी मिलने की पूरी संभावना है। हालांकि दोनों प्रस्तावों में ये कहा गया है कि बीजेपी और आरएसएस ‘मौजूदा समय में देश के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं’ और इनको पराजित करने की जरूरत है।