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पोतों की आपूर्ति से भारत-श्रीलंका दोस्‍ताना संबंधों में इजाफा: उच्‍चायुक्‍त चित्रांगनी

india sri lanka पोतों की आपूर्ति से भारत-श्रीलंका दोस्‍ताना संबंधों में इजाफा: उच्‍चायुक्‍त चित्रांगनी

नई दिल्ली। भारत ने श्रीलंका को समुद्र में गश्‍त लगाने वाला दूसरा सबसे बड़ा और सबसे आधुनिक जहाज निर्धारित समय से 25 दिन पहले सौंप दिया है। इसे गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने तैयार किया है। दो बड़े गश्‍ती जहाज बनाने की परियोजना भारत और श्रीलंका के बीच सबसे महत्‍वपूर्ण रक्षा सहयोग का प्रमाण है। श्रीलंका नौसेना के लिए ये सबसे बड़ा निगरानी जहाज है और इससे उसकी क्षमता में काफी सुधार होगा। पिछली जुलाई में पहला जहाज सौंपा गया था, जिसके प्रदर्शन को श्रीलंकाई नौसेना ने सराहा है।

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इस जहाज का मुख्‍य उपयोग श्रीलंका के आसपास हिन्‍द महासागर में आवागमन कर रहे मालवाहक जहाजों को सुरक्षा प्रदान करना और विपदा की स्थिति में तत्‍काल मदद मुहैया कराना है। भारतीय नौसेना श्रीलंका को प्रशिक्षण सुविधाओं के साथ-साथ तकनीकी सहायता आदि प्रदान करती रही है। गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) ने श्रीलंका की नौसेना को दूसरे अत्‍याधुनिक गश्‍ती पोत की आपूर्ति समय से पहले ही कर दी है जिसे गोवा के वास्‍कोडिगामा स्‍थित वड्डम में आयोजित एक समारोह में शुक्रवार को श्रीलंकाई नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया।

यह गश्‍ती पोत श्रीलंका के नौसैनिक बेड़े का सबसे आधुनिक पोत होगा। इस वित्‍त वर्ष श्रीलंका की नौसेना को जीएसएल की ओर से आपूर्ति किया गया यह चौथा आधुनिक गश्‍ती पोत है। समारोह में भारत में श्रीलंका की उच्‍चायुक्‍त चित्रांगनी वागिस्‍वरा, श्रीलंकाई नौसेना के अध्‍यक्ष रियर एडमिरल एन.बी.जे. रोसायरो, जीएसएल के अध्‍यक्ष सह प्रबंध निदेशक रियर एडमिरल (सेवानिवृत्‍त) शेखर मित्‍तल, श्रीलंकाई नौसेना, भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्ष बल तथा जीएसएल के वरिष्‍ठ अधिकारी और निदेशक भी उपस्‍थित थे।

श्रीलंका की नौसेना के लिए दो बड़े अत्‍याधुनिक गश्‍ती पोत का निर्माण भारत और श्रीलंका के बीच एक बड़े रक्षा सहयोग तथा निर्यात अनुबंध के तहत किया गया है। श्रीलंका की नौसेना को आपूर्ति किए गए गश्‍ती पोत का निर्माण 9 मई, 2015 को शुरू किया गया था और 02 मई, 2017 को इसका जलावतरण किया गया। तय अवधि से 25 दिन पहले पोत की आपूर्ति का पूरा श्रेय गोवा शिपयार्ड को जाता है। शिपयार्ड ने 2500 टन वजनी ऐसे पोत को 5 वर्ष की बजाय 3 साल में बनाकर तैयार कर दिया, जबकि 3 वर्ष पहले तक ऐसे पोत को बनाने में 5 वर्ष का समय लगता था। जीएसएल की ओर से इसके पहले श्रीलंका की नौसेना को अपतटीय गश्‍ती पोत सयूराला की आपूर्ति भी जुलाई, 2017 में समय से पहले कर दी गई थी।

सयूराला बेहतरीन तरीके से काम कर रहा है। उसकी उन्‍नत तकनीक और निर्माण गुणवत्‍ता के लिए जीएसल लगातार वाहवाही बटोर रहा है। पोत को श्रीलंकाई नौसेना के बेडे में शामिल किए जाने के अवसर पर रियर एडमिरल सेवानिवृत शेखर मित्‍तल ने कहा ‘यह अत्‍याधुनिक गश्‍ती पेात श्रीलंकाई नौसेना के लिए उसके आर्थिक महत्‍व वाले व्‍यापक समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा और निगरानी की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में मददगार बनेगा।’

उन्‍होंने कहा कि इस पोत के बनाने में बरती गयी सावधानी, सतर्कता और दूरगामी सोच ने इसके निमार्ण में उच्‍च मानकों का अनुपालन सुनिश्‍चित किया। समुद्र और बंदरगाह में हुए परीक्षणों ने इस बात को प्रमाणित किया है। पोत के डिजाइन और इसकी परिचालन क्षमताओं ने मित्र देश श्रीलंका की नौसेना की आवश्‍यकताओं को पूरी तरह से संतुष्‍ट किया है।
श्रीलंका की उच्‍चायुक्‍त चित्रांगनी वागिस्‍वरा ने कहा, ‘श्रीलंका की नौसेना को समय से पहले पोत की आपूर्ति जीएसएल के कर्मचारियों और उसके नेतृत्‍व की दक्ष निर्माण क्षमताओं का प्रमाण है। इन पोतों की आपूर्ति ने श्रीलंका की नौसेना की सामरिक क्षमता में ही नहीं बल्‍कि भारत और श्रीलंका के दोस्‍ताना संबंधों में भी इजाफा किया है।’

समय से पहले पोतों की आपूर्ति के मामले में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड का प्रदर्शन उत्‍कृष्‍ट रहा है। रक्षा मंत्रालय ने जीएसएल को आधिकारिक रूप से सबसे बेहतरीन शिपयार्ड के साथ ही सबसे ज्‍यादा निर्यात करने वाला शिपयार्ड भी घोषित कर रखा है। पिछले चार वर्षों में जीएसल का कुल कारोबार 60 करोड़ रूपए के घाटे से उबरकर 220 करोड़ रुपये के मुनाफे में तब्‍दील हो चुका है।

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