लखनऊ। साइकिल जीतने के बाद अखिलेश यादव पुराने अंदाज में वापस आ गए है और चुनाव के लिए जोरों-शोरों से तैयारी करने में लगे हुए हैं। चुनावों की तैयारी में अखिलेश गठबंधन की ओर निकल पड़े हैं। महागठबंधन की डोर सपा ने कांग्रेस के अनुभवी हाथों में थमा दी है। बुधवार को राजधानी दिल्ली में कांग्रेस और आरएलडी नेताओं के बीच हुई बैठक में महागठनबंधन और सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत हुई है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक बिहार में हुए महागठबंधन जैसा ही माजरा यूपी में भी हो सकता है।
अगर सपा-कांग्रेस-आरएलडी मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस 100, आरएलडी-20 और बाकियों पर सपा अपने प्रत्याशियों को उतारकर बीजेपी के खिलाफ हुंकार भरेगी। हालांकि समाजवादी पार्टी को डर है कि अगर आरएलडी गठबंधन में आती है तो उसका मुस्लिम वोटर नाराज होकर बीजेपी का रूख कर सकता है।
तीनों पार्टियों के विलय का गुरूवार को औपचारिक ऐलान होना संभव बताया जा रहा है। पहले चर्चा थी कि गठबंधन में अखिलेश और कांग्रेस के साथ अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी भी शामिल होगी, लेकिन बुधवार को सपा की ओर से इस बात को नकार दिया गया है। अब यह गठबंधन कौन सा रूख लेगा ये तो सोचने वाली बात है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आरएलडी ने सपा से 22 से 25 सीटों की मांग की है लेकिन सपा महज 20 सीट देना चाहती है।
महागठबंधन पर जब भारत खबर ने कांग्रेस नेता सत्यदेव त्रिपाठी से बातचीत की तो उन्होंने साफ कर दिया कि महागठबंधन का फैसला सिर्फ चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि सांप्रादियक ताकतों को प्रदेश में घर बनाने से रोकना का है। सत्यदेव त्रिपाठी ने बताया कि महागठबंधन में कांग्रेस और सपा को कितनी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी इसका एलान गुरूवार शाम तक हो जाएगा।