देहरादून। परेड ग्राउंड में किशोर उपध्याय ने जन हस्तक्षेप व चेतना आन्दोलन द्वारा मज़दूरों के हितों व वन अधिकारों पर सरकारों द्वारा किये जा कुठाराघात के विरोध में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। किशोर उपध्याय ने कार्यक्रम में कहा कि उत्तराखंड में जगह-जगह 65 से लेकर 75 प्रतिशत तक वन भूमि है। यहां तक कि जहां मेरे अपने खेत की जो दिवार है वो वन भूमि की है।
उन्होंने कहा कि हमारा पूरा जीवन जंगलों पर आधारित है। फिर चाहे उसमें हमारी जीविका हो या पशु चारण हो सब वन भूमि ही थे। लेकिन पहले हम इस पर ध्यान नहीं दे पाए। लेकिन अब फिलहाल ही में वन वासियों के अधिकारों और सुरक्षा का पहला आंदोलन हुआ जिसमें सेकड़ो लोग मारे गए। अहने जंगलों पर हक के लिए कई वन वासियों ने अपनी जान गवाई।
वहीं उन्होंने कहा कि मेरी मांग है कि पूरे उत्तराखंड को हम लोगों को वन वासी घोषित किया जाना चाहिए। संविधान में जो अधिकार अन्य क्षेत्र के वनवासियों को दिए गए हैं। वो हमें भी दिए जाने चाहिए और हमारे जो हक हैं वो हमें वापस मिलने चाहिए।