भारत खबर, राजेश विद्यार्थी की रिपोर्ट
जम्मू कश्मीर
कश्मीर घाटी में भाजपा के सरपंचों, पंचों और नेताओं पर आतंकी हमलों के बाद पिछले एक महीने में पार्टी के 40 नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया। आतंकी धमकी के कारण नेता पार्टी छोड़ रहे हैं।
पार्टी नेताओं में जम्मू कश्मीर से धारा 370 टूटने की सालगिरह के बाद भाजपा से त्यागपत्र देने की होड शुरू हो गई। इस साल जून में ही पार्टी नेताओं पर आतंकियों ने हमला शुरू कर दिया था। जून महीने में भाजपा के अजय पंडिता की आतंकियों ने हत्या कर दी। कुछ देर शांति के बाद आठ जुलाई को भाजपा के उभरते युवा चेहरे वसीमा बारा, उसके भाई उमर सुल्तान और पिताशेख बशीर अहमद की आतंकियों ने मार दिया। इसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में दहशत फैल गई। जुलाई महीने में 21 भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी।
पांच अगस्त के बाद काजीगुंड के वूसू क्षेत्र के सरपंच को गोली मारने के बाद सिलसिला एक बार से शुरू हो गया। अगस्त महीने में ही 11 भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया। अगस्त में ही पार्टी के तीन सरपंच और एक जिला अध्यक्ष की हत्या की गई। पार्टी के एक नेता के घर के बाहर गे्रनेड भी दागा। भाजपा के अलावा कांग्रेस के दो पंचों ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया था। हालांकि पार्टी के इन नेताओं ने भाजपा छोड़ने के पीछे नीजि कारण बताया। जबकि आतंकी धमकी और नेताओं पर हमले से खौफजदा होने के कारण नेताओ ने भाजपा छोड़ने का मन बनाया। घाटी चार सौ नेता और कार्यकर्ताओं को सेफ जोन में रखा आतंकवाग्रस्त घाटी के सरपंचों और पंचों को प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर सिक्योरिटी जोन में रखा है।
चार सरपंच, पंच और नेताओं को होटल, सरकारी आवासों में रहने की जगह मुहैया कराई गई है। इसके बावजूद आतंकी हमला करने में कामयाब रहे। पार्टी के प्रदेश महासचिव अशोक कौल भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को प्रदेश के हर जिले के कार्यकर्ताओं को सेफ जोन में रखने का पत्र लिख चुके हैं। कश्मीर में भाजपा अध्यक्ष यूसूफ सोफी के अनुसार भाजपा का घाटी में लगातार जनाधेश बढ़ रहा है। पंचायत चुनावों में पार्टी को 23 फीसदी वोट मिले थे और 60 सीटों पर उनके उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए। निकाय
चुनावों में भी सात सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीते। 2019 लोकसभा चुनावों में कश्मीर की तीन सीटों पर भाजपा का वोट प्रतिशत दुगना हुआ है। वोटकुछ लोग अपनी नीजि स्वार्थ के लिए भाजपा में आए। जो घाटी के विभिन्न राजनीतिक दलों से संबंध रखते थे। नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस ने पंचायत चुनावों का बहिष्कार किया था। कांग्रेस ने अपने छद्म उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया। उनका नीजि स्वार्थ जब पूरा नहीं हुआ तो पार्टी को छोड़ रहे हैं। भाजपा के घाटी में सात लाख सदस्य है। कश्मीर की आबादी लगभग 60 लाख के करीब है।
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दो साल पहले कश्मीर में ढ़़ाई लाख सदस्य थे। भाजपा के बढ़ते जनाधार से अन्य राजनीतिक दल और आतंकी बौखला गए हैं और लगातार नेताओं को निशाना बना रहे हैं।