एजेंसी, दुर्ग। बदली लाइफ स्टाइल लोगों को उच्च रक्तचाप से ग्रसित कर रही है। जिले के हर एक हजार लोगों में से आठ व्यक्ति इससे ग्रसित हैं। हाइपरटेंशन पहले उम्रदराज लोगों को ही होता था, लेकिन अब युवा और यहां तक बच्चों में भी यह बीमारी मिलने लगी है।
चिकित्सकों के मुताबिक हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी-कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं। एक पुरानी चिकित्सकीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्घि के कारण रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिए दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है।
रक्तचाप में दो माप शामिल होती हैं। पहला सिस्टोलिक और दूसरा डायस्टोलिक। यह इस बात पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन (सिस्टोल) हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता (डायस्टोल) हो रही है।
हाइपरटेंशन में नहीं मिलते लक्षण
चिकित्सकों के मुताबिक उच्च रक्तचाप में शायद ही कभी कोई लक्षण दिखाता है और आमतौर पर इसकी पहचान स्क्रीनिंग के माध्यम से होती है। जब इससे असंबंधित स्वास्थ्य समस्या आती है तो देखभाल की जरूरत पड़ती है। हाइपरटेंशन से कुछ लोगों में सिरदर्द (विशेष रूप से सिर के पिछले हिस्से में और सुबह) तथा साथ ही चक्कर आने की शिकायतें आती है।
कान में गूंज या फुसफुसाहट की आवाज होती है। दृष्टि परिवर्तन तथा बेहोशी की शिकायत करते हैं। शारीरिक परीक्षण में उक्त रक्तचाप का शक तब होता है जब ऑप्थेल्मोस्कोपी का उपयोग करते हुये आंखों के पीछे की ओर ऑप्टिक फंडस की जांच के समय हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी का पता चलता है।
कैसा होना चाहिए रक्तचाप
चिकित्सकों के मुताबिक व्यक्ति के आराम के समय पर सामान्य रक्तचाप 100-140 सिस्टोलिक (उच्चतम रीडिंग) और 60-90 डायस्टोलिक (निचली-रीडिंग) की सीमा के भीतर होता है। उच्च रक्तचाप तब उपस्थित होता है यदि यह 90/140 पर या इसके ऊपर लगातार बना रहता है।
जीवन शैली में बदलाव से बचा जा सकता है
चिकित्सकों के मुताबिक प्रभावी जीवन शैली संशोधन भी रक्तचाप को उतना ही कम कर सकती है। शरीर के वजन को सामान्य बनाये रखें। आहार में शामिल सोडियम का सीमित इस्तेमाल होना चाहिए।
शारीरिक गतिविधि के लिए प्रतिदिन 30 मिनट तेज चलें। आहार में फलों और सब्जियों को अधिक से अधिक शामिल करें। इसके अलावा तनावमुक्त जीवन शैली अपनाने की जरूरत है। नियमित व्यायाम ओर योग से उच्चरक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।
हार्ट व किडनी को खतरा
नोडल अधिकारी डॉ। आरके खंडेलवाल बताते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर का ही दूसरा नाम हाइपरटेंशन है। हमारे शरीर में मौजूद रक्त नसों में लगातार दौड़ता रहता है और हाइपरटेंशन को उच्च ब्लड प्रेशर के रूप में भी जाना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां धमनी दीवार के खिलाफ खून की शक्ति बहुत ज्यादा ऊपर होती है। इससे हृदय रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। हाइपरटेंशन एक ऐसा खतरा है, जिसमें धीरे-धीरे व्यक्ति के हार्ट, किडनी व शरीर के अन्य अंग काम करना बंद कर सकते हैं। इसके अलावा हाई बीपी के कारण आंखों पर भी असर पड़ता है।