जयपुर। राजस्थान विधान सभा में गुरुवार को प्रश्नकाल के दौरान सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी एवं विपक्षी दल के नेताओं के बीच पूर्व रियासतों की संपत्तियों से जुड़े एक प्रश्न को लेकर तीखी बहस हो गई। गुरुवार दोपहर कांग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्यों ने मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा कर दिया। बाद में विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने मामला न्यायालय में लंबित होने के कारण आरोपों को सदन की कार्यवाही से निकालने के आदेश दे दिए।
दरअसल प्रश्नकाल के दौरान संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल के पूर्व रियासतों की संपत्तियों से जुड़े प्रश्न के संबंध में न्यायालय को अवगत कराया कि इस मामले से जुड़े कई मामले न्यायालय के विचाराधीन है, तभी विधानसभा अध्यक्ष ने इस संबंध में और प्रश्न करने की इजाजत देने इनकार कर दिया। तभी वरिष्ठ भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने न्यायालय से संबंधित बात न करके जयपुर के राजमहल होटल प्रकरण में एडमिनिस्ट्रेटिव एक्शन की बात करते हुए सरकार और अधिकारियों पर आरोप जड़ डाले, तो सदन में हंगामा मच गया।
सत्ता पक्ष की ओर से संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़ समेत यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी, मंत्री अरुण चतुर्वेदी, मुख्य सचेतक और कई विधायक अपनी सीटों से खडे होकर विरोध दर्ज कराने लगे। इसी बीच बसपा विधायक ने मुख्यमंत्री के खिलाफ टिप्पणी कर दी तो शोर शराबा और बढ गया। भारी शोर शराबे के बीच विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने आरोपों को सदन की कार्यवाही से निकालने के आदेश दे दिए।
बाद में सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए तिवाड़ी ने कहा कि जब सवाल सूचीबद्ध किया गया तक क्या मालूम नहीं था कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इस सदन में कई बार न्यायालय में विचाराधीन मामलों से जुडें मुद्दों पर बातचीत हुई है तो आज क्यों नहीं। सदन में इस तरह से सवाल पूछने नहीं देने में षडयंत्र की बू आ रही है।