अगरतला। अभी तक गुजरात चुनाव की सरगर्मी खत्म नहीं हई है कि इससे पहले ही बीजेपी ने मार्च में होने वाले त्रिपुरा के चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। त्रिपुरा में बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनाीति के तहत भारत माता को ही राजनीति में उतार दिया है। दरअसल आज तक भारत माता को साड़ी पहने, मुकुट लगाए और हाथ में राष्ट्रीय ध्वज लिए चित्रित किया जाता है, लेकिन बीजेपी ने त्रिपुरा चुनाव के मद्देनजर भारत माता का चित्रण ही बदल दिया है। बीजेपी राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए यहां की प्रमुख चार जनजातियों के परंपरागत वेशभूषा में भारत माता का चित्रण कर रही है।
बीजेपी उत्तर-पूर्वी राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। ऐसे में बीजेपी उत्तर-पूर्व की हर जनजाति में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए भारत माता कि विशेष फोटो लाने की तैयारी कर रही है। त्रिपुरा की चार प्रमुख जनजाति देबबर्मा, त्रिपुरी, रियांग और चकमा जनजाति के लोग जिस तरह के परिधान पहनते हैं, ठीक उसी तरह के परिधान में बीजेपी भारत माता का चित्रण करेगी ताकि वो राज्य में अपनी पकड़ मजबूत कर सके। आपको बता दें कि राज्य में इन चारों जनजातियों की कुल आबादी करीब 77.8 फीसदी है।
इनमें त्रिपुरी जनजाति की संख्या 5 लाख 48 हजार, जोकि राज्य की कुल आबादी का 54.7 फीसदी है। इसके बाद रियांग वहां दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है जिसकी आबादी करीब 2 लाख है, जिसका कुल आबादी का प्रतिशत 16.6 फीसदी है। वहीं चकमा 61 हजार 793 है जिसका राज्य की आबादी में करबी 6.5 फीसदी हिस्सा है, वहीं राज्य की कुल आबादी में 87 फीसदी हिंदू हैं। इसके बाद ईसाई और ंबौद्ध और मुस्लिम वहां के मुख्य अल्पसंख्यक वर्ग है।
बीजेपी के इस फैसले को लेकर त्रिपुरा के पार्टी प्रभारी सुनील देवधर ने कहा कि संघ का मानना रहा है कि देश को जोड़ने के लिए भारत माता से अच्छा प्रतीक कोई नहीं है, लेकिन देश में खान-पान और पहनावे की विविधता इतनी है कि सुदूर अंचल की जनजाति उससे एकरूपता नहीं स्थापित कर पाती इसीलिए त्रिपुरा में रहने वाले देबबर्मा जनजाति की वेशभूषा में भारत माता का चित्र बनाया गया है। इसमें कोई बुराई नहीं है क्योंकि ये देश को जोड़ता है