इस्लामाबाद। शिवसेना के विरोध के बावजूद मशहूर गायक अनूप जलोटा ने पाकिस्तान की यात्रा की। उन्होंने पाकिस्तान में एक स्पताह तक भगवद् गीता के श्लोकों का उर्दू में अनुवाद कर लोगों को सुनाया। पाकिस्तान से लौटने के बाद जलोटा ने कहा कि गीता विश्व को एक बार फिर कुरुक्षेत्र का रण बनने से रोकने के लिए है। उन्होंने कहा कि गीता में जीवन के सभी सवालों का उत्तर मौजूद है। मुझे लगा कि इसका प्रचार आवशयक है इसलिए मैंने एक संगीतकार के नाते भगवद् गीता को लोगों तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि जब उर्दु बोलने वालो तक उर्दु में संगीत पहुंचाया जाता है तो आप स्थानांतरित हो उठते हैं और ये आपको बदल देता है।
जलोटा ने कहा कि मैंने पाकिस्तान में सभी व्यावसायिक गजल शो को करने से इनकार कर दिया, लेकिन भजन और भगवद् गीता की प्रस्तुति से 50 हजार लोगों को आकर्षित करना मेरा विश्व शांति के लिए एक छोटा सा योगदान है। उन्होंने कहा कि मैं लोगों के रवैये और मनोदशा में बदलाव देखना चाहता हूं। मैं ज्यादा कुछ तो नहीं कर सकता,लेकिन अपने संगीत के जरीए दुनिया को कुरुक्षेत्र का रणक्षेत्र बनने से रोकने का प्रयास तो कर सकता हूं।
बता दें कि जलोटा ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित सतनाम आश्रम में गीता की गायन के रूप में प्रस्तूती दी। जलोटा ने कहा कि भारत ने हमेशा पाकिस्तान के संगीतकारों का स्वागत किया है , इसलिए मेरा मानना है कि पाकिस्तान की भी यही नीति होनी चाहिए। उन्होंने कहा इस नीति से दोनों देशों के बीच शांति कायम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि मैने एक मुस्लिम देश में गीता को बढ़ावा देने के लिए ये कदम उठाया है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के सिंध में सतनाम आश्रम एक आध्यात्मिक स्थान है। पिछले कई वर्षों से, वे भारत आ रहे हैं और मुझे उनके लिए गाने के लिए आमंत्रित करते हैं। मैं पिछले साल तक पाकिस्तान जाने से खुद को रोक रहा था। उन्होंने कहा कि ये समय है कि इस्लामिक राष्ट्रों की यात्रा करें और उन देशों में भगवद् गीता का सार फैलाएं। जलोटा ने खाड़ी देशों तक पहुंचाने के लिए उर्दू में भगवद् गीता को रिकॉर्ड कराने का निर्णय लिया है।