- संवाददाता, भारत खबर
देहरादून। केदारनाथ घाटी में हुई भयंकर त्रासदी शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे भूली होगी। आज भी उनके चेहरों पर पसीना आ जाता है जिनका परिवार इस त्रासदी में खो गया है। केदारनाथ की घाटियों में खोए अपनों को निशान ढूढने के लिए सरकारी से लेकर निजी मशीनरी तक लगाई गई लेकिन आजतक उन लोगों के निशान नहीं मिल पाए जो अपनों से बिछुड़ गए थे।
हालाकि 2013 में हुई इस आपदा का जख्म़ बहुत ही तेजी से भर रहा है। उत्तराखंड की चार धाम यात्रा श्रद्धालुओं की वजह से शानदार मुकाम पर है। पूरी दुनिया के लोगों की आस्था और विश्वास ने इतिहास रच दिया है।
वर्ष 2013 की 16 एवं 17 जून को याद कर आज भी लोगों का रूह कांप उठता है। 27 लाख यात्री पिछले वर्ष 2018 में उत्तराखंड आए थे। इस बार, अपेक्षाकृत थोड़ी देर से शुरू होने के बावजूद इस यात्रा में अभी तक यात्री संख्या का आंकड़ा बीस लाख से पार हो गया है।
बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में यात्रियों की संख्या लगभग बराबरी पर है। सवा महीने की यात्रा में कई दिन ऐसे भी आए हैं, जबकि बद्रीनाथ के मुकाबले केदारनाथ में ज्यादा यात्री पहुंचे हैं। उस केदारनाथ धाम में यात्रियों का इस तरह का हुजूम सचमुच सबको चौंकाता है, जिसकी वर्ष 2013 में आपदा से तहस नहस हुए धार्मिक क्षेत्र के रूप में पहचान उभर कर सामने आई थी। आपदा आने से एक वर्ष पहले यानी वर्ष 2012 की यात्रा में 27 लाख 23 हजार 311 यात्री आए थे।