शिलांग। पूर्वोत्तर का स्कॉटलैंड कहलाने वाले मेघालय में बीजेपी ने बीते रविवार को महज तीन घंटे में बाजी पलटते हुए कांग्रेस के हाथों से सत्ता छीन ली। दस साल से सरकार चला रही कांग्रेस 21 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी लेकिन सत्ता से बाहर हो गई। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अध्यक्ष और तूरा के सांसद कोनराड संगमा को अन्य दलों के समर्थन से छह मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। कोनराड पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे हैं।

बता दें कि बीते शनिवार को घोषित चुनाव परिणाम में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आने के बाद कांग्रेस ने रात में ही राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इस बीच बीजेपी के कई दिग्गज नेता भी रात में शिलांग पहुंच गए। बीते रविवार सुबह से बैठकों का जो सिलसिला शुरू हुआ, उसके तीन घंटे के अंदर ही तमाम क्षेत्रीय दलों ने कोनराड संगमा के नाम पर सहमति जता दी।
वहीं पूर्वोत्तर के बीजेपी नेता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू और असम के बीजेपी नेता हिमंत बिस्व सरमा ने सुबह से ही गोटियां बिछाने की कवायद शुरू कर दी थी। रिजिजू ने यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) के नेता डोनकूपर राय से मुलाकात की। राज्य के मौजूदा सियासी समीकरणों में छह सीटों वाले यूडीपी का समर्थन अहम था। डोनकूपर ने बाद में एलान किया कि वह राज्य में स्थिर सरकार के गठन के लिए एनपीपी को समर्थन देंगे।
साथ ही उन्होंने समर्थन के लिए एक ही शर्त रखी थी कि मुख्यमंत्री एनपीपी अध्यक्ष कोनराड संगमा को चुना जाएगा। इस बीच, रिजिजू और हिमंत ने दूसरे क्षेत्रीय दलों के साथ भी बात की। कुल मिला कर तीन घंटे में ही 34 विधायकों का समर्थन जुटाकर दो विधायकों वाली भाजपा ने बाजी पलट दी।
बीते रविवार शाम को कोनराड संगमा ने राज्यपाल के सामने अपने समर्थक 34 विधायकों की परेड करा दी। इसके बाद राज्यपाल गंगा प्रसाद ने उनको सरकार बनाने का न्योता दिया। वैसे, कांग्रेस ने भी यूडीपी से समर्थन के लिए संपर्क किया था लेकिन बात नहीं बनी। कांग्रेस के हाथों से बाजी निकलते देखकर पार्टी के तीन वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, कमलनाथ और मुकुल वासनिक दोपहर को ही शिलांग से निकल गए।