बूंदी। राजस्थान में बूंदी जिले के संगवदा गांव में एक दलित दूल्हे की बरात कड़ी सुरक्षा के बीच निकाली गई। बरात की सुरक्षा के लिए चार थानों के पुलिसकर्मी और डीएसपी मौजूद थे। क्षेत्र के नायब तहसीलदार और पटवारी भी इस बरात में मौजूद रहे। दूल्हे के परिवार का आरोप था कि गांव में उच्च वर्ग के लोग बहुसंख्यक हैं जो गांव में दलितों की बारात निकालने पर परेशानी उत्पन्न करते हैं। वहीं गांव के गुर्जर और प्रजापत लोगों ने इसे गांव का नाम बदनाम करने की साजिश बताया।
दूल्हा परशुराम मेघवाल जावरा गांव में सरकारी शिक्षक है।
उसे आशंका थी गांव वाले उसकी बारात का विरोध करेंगे। आशंका के चलते उसने कलेक्टर और एसपी को शिकायत की थी। दलित समाज का आरोप है कि उनके दूल्हों को घोड़ी पर बैठ कर बारात निकालने से गांव में रोका जाता है। इसलिए उन्हें पुलिस की मदद लेनी पड़ती है।गांव में करीब 160 गुर्जर प्रजापत और मेघवाल परिवार रहते हैं। इनमें गुर्जर समाज के 55, प्रजापत समाज के 35 घर हैं जबकि 70 परिवार दलित मेघवाल समाज के हैं।
इस आरोप को झूठा बताते हुए गुर्जर समाज और प्रजापत समाज के लोगों ने कहा कि परशुराम ने गांव के नाम को बदनाम किया है। हमने कभी गांव में जातिगत भेदभाव नहीं किया।शिक्षक परशुराम की बारात या कभी किसी दलित के समारोह का गांव वालों ने कभी विरोध नहीं किया।