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गाड़ियों की नंबर प्लेट में छिपी होती है अहम जानकारी, आपको नहीं पता तो इस खबर से जानिए

नंबर प्लेट

लखनऊ। क्या आपने कभी गाड़ियों की नंबर प्लेट गौर से देखी है। अलग-अलग रंग और अलग-अलग नंबरों की नंबर प्लेट में अहम जानकारियां छिपी होती हैं। आइए इस खबर से समझते हैं नंबर प्लेटों का पूरा गणित।

नंबर प्लेट का लेटर कोड
हर नंबर प्लेट का एक लेटर कोड होता है। जैसे DL का मतलब दिल्ली, MP का मतलब मध्य प्रदेश, UP का उत्तर प्रदेश, UK का मतलब उत्तराखंड आदि। यह बताता है कि गाड़ी किस राज्य की है। आप एक ही नंबर की कई गाड़ियां भी रख सकते हैं इसके लिए किसी और राज्य से खरीदी गई गाड़ी को आरटीओ में जाकर अपनी पसंद के रजिस्ट्रेशन नंबर के प्रार्थनापत्र देना होगा। इस तरह से आपकी गाड़ी की नंबर प्लेट में सिर्फ स्टेट कोड बदलेगा। अपनी पसंद का नंबर लेने के लिए आपको थोड़ी ज्यादा फीस अदा करनी होगी।
नंबर प्लेट1
नंबरों की सीरीज का मतलब
पहले दो लेटर उस राज्य के बारे में होते जहां से गाड़ी को रजिस्टर कराया गया है। उससे अगले दो डिजिट जिले के बारे में बताते हैं। यह अंकों में होते हैं। जो बाकी 4 डिजिट है वो यूनिक नंबर होते हैं, जो सिर्फ आपकी गाड़ी के लिए होते हैं। यह रैंडमली चुने जाते हैं जो किसी खास सीरीज के तहत निकालते हैं।

एक महीने के लिए मिलता है टेंपरेरी नंबर
Temporary Number एक स्टिकर की तरह होता है जो एक महीने के लिए मिलता है। यह नंबर गाड़ी बेचने वाला डीलर देता है। इस एक महीने में गाड़ी के मालिक को आरटीओ में अपनी गाड़ी रजिस्टर करवानी पड़ती है।

जानिए अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट का मतलब
सफेद रंग की नंबर प्लेट
यह प्लेट आम गाड़ियों में लगती है। आप सफेद रंग की नंबर प्लेट वाली गाड़ी का कमर्शियल यूज नहीं कर सकते। इस प्लेट के ऊपर काले रंग से नंबर लिखे होते हैं। सफेद रंग देखकर आसानी से पता चल जाता है कि यह पर्सनल गाड़ी है।

पीले रंग की नंबर प्लेट
पीले रंग की नंबर प्लेट व्यावसायिक वाहनों में लगी होती है। पीली प्लेट आमतौर पर कमर्शियल यूज वाले ट्रक, टैक्सी और दूसरे वाहनों में लगी होती हैं। इस प्लेट के अंदर भी नंबर काले रंग से लिखे होते हैं।

नीले रंग की नंबर प्लेट
नीले रंग की नंबर प्लेट एक ऐसे वाहन को मिलती है, जिसका इस्तेमाल विदेशी प्रतिनिधि करते हैं। नीले रंग की इस प्लेट पर सफेद रंग से नंबर लिखे होते हैं। ऐसी गाड़ियां आपको दिल्ली या बड़े शहरों में देखने के लिए मिल जाएंगी। नीली प्लेट यह बताती है कि यह गाड़ी विदेशी दूतावास की है, या फिर यूएन मिशन के लिए है।

काले रंग की नंबर प्लेट
आमतौर पर काले रंग की प्लेट वाली गाड़ियां भी कमर्शियल वाहन ही होती हैं, लेकिन ये किसी खास व्यक्ति के लिए होती है। ऐसी गाड़ियां किसी बड़े होटल में खड़ी मिल जाएंगी। ऐसी कारों में काले रंग की नंबर प्लेट पर पीले रंग से नंबर लिखा होता है।

लाल रंग की नंबर प्लेट
अगर किसी गाड़ी में लाल रंग की नंबर प्लेट है तो वह गाड़ी भारत के राष्ट्रपति या फिर किसी राज्य के राज्यपाल की होती है। ये लोग बिना लाइसेंस की ऑफिशियल गाड़ियों का उपयोग करते हैं। इस प्लेट में गोल्डन रंग से नंबर लिखे होते हैं और इन गाड़ियों में लाल रंग की नंबर प्लेट पर अशोक की लाट का चिन्ह बना हुआ होता है।

हरे रंग की नंबर प्लेट
सड़क मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक परिवहन वाहनों के लिए हरे रंग की नंबर प्लेट निर्धारित की है। प्लेट का बैकग्राउंड हरा होगा और इस पर वाहन की श्रेणी के हिसाब से पीले अथवा सफेद रंग से नंबर लिखे होते हैं।

ऊपर की ओर इशारा करते तीर  के साथ नंबर प्लेट
किसी भी अन्य लाइसेंसी नंबर प्लेट के विपरीत सैन्य वाहनों के लिए एक अलग तरह की नंबरिंग प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है। इन सैन्य वाहनों के नंबर रक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली के द्वारा आवंटित किया जाता है। ऐसे गाड़ी नंबर के पहले या तीसरे अंक के स्थान पर ऊपरी ओर इशारा करते हुए तीर का निशान होता है, जिसे ब्रॉड एरो कहा जाता है एवं ब्रिटिश कॉमनवेल्थ के कई हिस्सों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। तीर के बाद के पहले दो अंक उस वर्ष को दिखाते हैं जिसमें सेना ने उस वाहन को खरीदा था। यह नम्बर 11 अंकों का होता है।

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