जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस एसके पालो ने एक अहम फैसले में कहा है कि शादी का वादा कर स्वतंत्र इच्छा के साथ यौन संबंध स्थापित करने के बाद मुकरना दुष्कर्म की श्रेणी में आता है। महिला व युवक भले ही लिव इन रिलेशनशिप में रहते हों। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपित व उसके माता-पिता की तरफ से दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया।
माता-पिता ने समारोह आयोजित कर सगाई करा दी थी
बता दें कि याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी संदीप व उसके माता-पिता की तरफ से दायर याचिका में दहेज अधिनियम सहित दुष्कर्म की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किये जाने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। प्रकरण के अनुसार, पीडि़त महिला व संदीप की 2016 में एक कोचिंग सेंटर में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते हुए मुलाकात हुई थी। दोनों के बीच प्रेम संबंध स्थापित हो गए और उनके माता-पिता ने समारोह आयोजित कर उनकी सगाई करा दी थी। इसके बाद वे पति-पत्नी की तरह रहने लगे।
आरोपितों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए
वहीं प्रतियोगी परीक्षा में महिला का सेलेक्शन हो गया और उसके मंगेतर का नहीं हुआ, जिसके बाद संदीप और उसके माता-पिता दहेज के रूप में 10 लाख रुपये और एक कार की मांग करने लगे। पीडि़त महिला ने संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस में लिखित शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई तो महिला ने जिला न्यायालय में परिवाद दायर किया। न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी की अदालत ने आरोपितों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
आदेशों का हवाला देते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया
साथ ही न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ दुष्कर्म, दहेज एक्ट व प्रताड़ना की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया था। इसी मामले को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा गया था कि लिव इन रिलेशनशिप में होने के कारण दोनों की सहमति से यौन संबंध स्थापित हुए थे। एकलपीठ ने पूर्व के आदेशों का हवाला देते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया।