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शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति है ऑनलाइन एजुकेशन, डॉ. नेहर्षि से जानिए इसके फायदे  

शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति है ऑनलाइन एजुकेशन, डॉ. नेहर्षि से जानिए इसके फायदे  

 

शैलेंद्र सिंह

लखनऊ: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। इस दौरान जहां लोगों ने अपनों को खोया है तो कई चीजें ऐसी भी हुई हैं, जिन्‍हें हम परिवर्तन के रूप में देख सकते हैं। इन्‍हीं चीजों में से एक है ऑनलाइन एजुकेशन।

कोरोना काल में टेक्‍नोलॉजी एजुकेशन के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति के रूप में उभरकर सामने आई है। यह बात कही है एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्‍थान की असिस्‍टेंट प्रोफेसर व रिहैबिलिटेशन साइकोलॉजिस्‍ट डॉ. नेहर्षि श्रीवास्‍तव ने।

शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति है ऑनलाइन एजुकेशन, डॉ. नेहर्षि से जानिए इसके फायदे  

Bharatkhabar.com के संवाददाता शैलेंद्र सिंह से खास बातचीत में डॉ. नेहर्षि श्रीवास्‍तव ने शिक्षा के क्षेत्र में बच्‍चों के लिए टेक्‍नोलॉजी के प्रयोग के सकरात्‍मक पहुलओं पर बात की। साथ ही उन्‍होंने इसके दुष्‍प्रभाव व उनसे बचाव के तरीके भी बताए।

कोरोना काल में पता चला ऑनलाइन एजुकेशन का महत्‍व

डॉ. नेहर्षि श्रीवास्‍तव ने बातचीत में कहा कि, कोरोना महामारी आने से पहले ज्‍यादातर बच्‍चे टेक्‍नोलॉजी को लेकर डिस्‍ट्रैक्टिंग वे (भटकाव) में थे। वह मोबाइल फोन, लैपटॉप और टीवी का ज्‍यादातर इस्‍तेमाल सिर्फ अपने मनोरंजन के लिए ही कर रहे थे। लेकिन पिछले साल से जब से कोरोना संक्रमण के कारण स्‍कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, कोचिंग सेंटर्स बंद हुए और पढ़ाई ऑनलाइन होने लगी तो बच्‍चों को टेक्‍नोलॉजी का सही इस्‍तेमाल पता चला और वे कंस्ट्रक्टिव वे (रचनात्‍मक रास्‍ता) की ओर बढ़ चले।

ऑनलाइन क्‍लासेज के फायदे

बच्‍चों के लिए ऑनलाइन क्‍लासेज के फायदे के बारे में बताते हुए डॉ. नेहर्षि ने कहा कि, अगर आनॅलाइन क्‍लासेज न चल रही होतीं तो बच्‍चों की पढ़ाई का बहुत ही नुकसान होता। आज जो बच्‍चे ऑनलाइन क्‍लासेज से पढ़ रहे हैं, वो न पढ़ पाते। आज ऑनलाइन क्‍लासेज की जितनी पहुंच है, वह ऑफलाइन क्‍लासेज से कहीं ज्‍यादा है। आज देश-विदेश में कहीं भी बैठा छात्र ऑनलाइन क्‍लासेज से कहीं भी जुड़कर एजुकेशन ले रहा है। तो हमें हमेशा आगे की ओर सोचना चाहिए। कोरोना काल में ऑनलाइन एजुकेशन का जो ऑप्‍शन हमें मिला है, वह एजुकेशन के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति है।

डॉ. नेहर्षि कहती हैं कि, टेक्‍नोलॉजी के जरिए ऑनलाइन क्‍लासेज से टीचिंग पैटर्न में भी काफी बदलाव आ रहा है। अक्‍सर हम देखते थे कि क्‍लासरूम में कोई लेक्‍चर क्‍लास बोरिंग लगने लगती थी, लेकिन अब उसमें काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। अब वीडियो के माध्‍यम से, अलग-अलग सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से कुछ और चीजें जोड़कर इंटरेस्टिंग वे में बच्‍चों को पढ़ाया जा रहा है और बच्‍चों को भी इसमें मजा आ रहा है। बस अब जरूरत है कि चाहे वो सरकारी अध्‍यापक हो या निजी अध्‍यापक उसे अपनी डिजिटल स्किल ब्रशअप करने की जरूरत है, जिससे वह अपने लेक्‍चर या टॉपिक को इंटरेस्टिंग रूप से डिलीवर कर सकें और बच्‍चे भी उसे इंटरेस्ट के साथ पढ़ सकें।

ऑनलाइन क्‍लासेज से बच्‍चों व अभिभावकों में बदलाव  

ऑनलाइन क्‍लासेज को लेकर बच्‍चों व उनके अभिभावकों में आए बदलाव को लेकर डॉ. नेहर्षि श्रीवास्‍तव कहती हैं कि, जब शुरू शुरू में हमें कोई नई चीज मिलती है या उसे शुरू करते हैं तो हमें अरजेस्‍ट करने में चिक्‍कतें आती हैं, लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ हम अरजेस्‍ट हो जाते हैं। ऐसे ही टेक्‍नोलॉजी ने आनॅलाइन एजुकेशन को एक नई स्‍पीड दी, परिदृश्‍य दिया और प्रोस्पेक्टिव दिया। बच्‍चों में भी यह चीज डेवलप हुई कि हम ऑनलाइन पढ़ाई व उससे संबंधित और भी चीजें कर सकते हैं, उनके बारे में जान सकते हैं।

डॉ. नेहर्षि कहती हैं कि, ऑनलाइन क्‍लासेज से सबसे बड़ा बदलाव आया है हमारी एजुकेशन पॉलिसी में। हाल ही में यूजीसी ने सरकारी व कुछ निजी कॉलेजों से कहा कि वह कुछ कोर्सेस की पढ़ाई ऑनलाइन करा सकते हैं, जो एक अच्‍छा बदलाव है और एक नई शुरुआत है। कोविड खत्‍म हो जाने के बाद भी सेकेंडरी व हायर एजुकेशन में ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों मोड में एजुकेशन के ऑप्‍शन देने चाहिए। अगर स्‍कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और कोचिंग सेंटर्स दोनों मोड को अपनाएंगे तो बच्‍चों को ज्‍यादा फायदा होगा। ऐसा इसलिए की कहीं दूर देश व विदेश में बैठा छात्र भी अपने पसंदीदा इस्‍ंटीट्यूट या कोचिंग में ऑनलाइन क्‍लासेज के जरिए पढ़ाई कर सकता है और एजुकेशन हासिल कर सकता है। उन्‍होंने कहा कि, अभी 21 सेंचुरी चल रही है और आने वाला पूरा एरा डिजिटल होने जा रहा है और ऐसे में एजुकेशन डिजिटल हो रही है तो यह प्‍लस प्‍वॉइंट है, टीचर्स के लिए भी और बच्‍चों के लिए भी।

ऑनलाइन एजुकेशन से नुकसान व बचाव के तरीके

वहीं, ऑनलाइन एजुकेशन के दुष्‍परिणाम और इससे बचाव के बारे में बताते हुए डॉ. नेहर्षि श्रीवास्‍तव बताती हैं कि देश में कई ऐसी जगहें हैं, जहां अभी भी इलेक्‍ट्रीसिटी की दिक्‍कत है और कई लोग ऐसे में जो सभी बच्‍चों के लिए टेक्‍नोलॉजी डिवाइस नहीं खरीद सकते हैं तो उन्‍हें ऑनलाइन एजुकेशन में दिक्‍कत आएगी। ऐसे में जरूरी है कि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में एजुकेशन दिया जाए। साथ ही ऑनलाइन एजुकेशन से फिजिकल और मेंटल हेल्‍थ पर असर पड़ता है, क्‍योंकि हम मोबाइल या लैपटॉप पर 8-10 घंटे दे रहे हैं। ऐसे में इसका असर आंखों पर भी पड़ता है और हमारे व्‍यवहार में भी बदलाव आता है। इसलिए इससे बचाव के लिए जरूरी है कि हम हर 45 मिनट पर 10-10 मिनट का गैप लेते रहे हैं। इसके अलावा हमें प्रतिदिन मेडिटेशन, वॉकिंग और योग करना चाहिए, जिससे हम फिजिकली और मेंटली दोनों तरह से स्‍वस्‍थ रहें।

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