हरदोई। बैंकों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का हरदोई जिले में व्यापक प्रभाव रहा। सरकारी बैंकों के अलावा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक की करीब 250 शाखाओं में दिन भर ताले लटकते रहे जिससे करीब 125 करोड़ का बैंकिंग लेनदेन हड़ताल की चपेट में आ गया, वहीं रोजाना होने वाली 20 करोड़ की चेकों की क्लीयरिंग भी न हो सकी। हड़ताल पर रहे बैंककर्मी सुबह 10 बजे से ही शहर की स्टेशन रोड स्थित भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा पर एकत्रित हुए।सरकार और बैंक मैनेजमेंट के खिलाफ जमकर नारेबाजी की बैंककर्मी नेताओं ने जिले भर में हड़ताल को पूरी तरह सफल रहने का दावा किया।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की स्थानीय इकाई के चेयरमैन मनोज सिंह ने कहा कि सरकार और बैंक मैनेजमेंट के नकारात्मक रवैये के कारण बैंककर्मी हड़ताल पर जाने को मजबूर हुए है। उन्होंने कहा कि समय पर हड़ताल का नोटिस मिल जाने के बाद भी इनकी तरफ से बातचीत कि कोई पहल नहीं हुई। हड़ताल के दो दिन पहले वे बातचीत का न्योता इस शर्त के साथ देते हैं कि पहले हड़ताल वापस लो फिर बात करेंगें। यूनियनों का कहना था कि पहले बात करो, अगर बातचीत सकारात्मक रहती है तो हड़ताल वापस हो सकती है आखिर वे बातचीत को तैयार न हुए और हमें हड़ताल पर जाना पडा।
एफबीयू के स्थानीय संयोजक आर के पाण्डेय ने कहा कि सरकार तमाम विरोधों को दरकिनार कर मनमाने ढंग से काम कर रही है। स्टेट बैंक में सहयोगी बैंकों का विलय सरकार के मनमाने फैसले का साफ उदाहरण है। उन्होंने बैंकों कहा कि बैंकों के हालात अच्छे नहीं हैं। डूबे कर्जों के बट्टे खाते में डाल देने से बैंकों की हालत चिंताजनक हो गयी है। सरकार ने इस बजट में बैंकों के पुनर्पूंजीकरण हेतु केवल 10 हजार करोड़ रूपये का ही प्रावधान किया है जो अपर्याप्त है।इसके चलते बैंकें पूंजी जुटाने के लिए शेयरों की बिक्री की ओर धकेली जायगी जो एक तरीके से निजीकरण का प्रयास होगा।
-आशीष सिंह