नई दिल्ली। देश के कृषि कानूनों के विरोध में आज किसान आंदोलन को 51वां दिन है। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के चारों ओर डटे हुए है। इसके साथ ही आज एक बार फिर किसान संगठनों और सरकार के बीच 9वें दौर की वार्ता होने जा रही है। ऐसा लगता है कि इस वार्ता से दोनों पक्षो में कोई न कोई समाधान निकल आएगा। इसी बीच केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों का कुछ लोग विरोध कर रहे हैं तो वहीं कुछ कृषि कानूनों का समर्थन में उतरे हैं। जिसके चलते आज अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की तरफ से बड़ी सुनने को मिल रही है। आईएमएफ का कहना है कि तीनों हालिया कानून भारत में कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने की दिशा में उठाया गया कदम है। यानि की आईएमएफ ने कृषि कानूनों का समर्थन किया है।
ये कानून किसानों को खरीदारों से प्रत्यक्ष संबंध बनाने का मौका देंगे- राइस
बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का मानना है कि तीनों हालिया कानून भारत में कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि आईएमएफ ने यह भी जोड़ा कि नई व्यवस्था को अपनाने की प्रक्रिया के दौरान प्रतिकूल प्रभाव झेलने वाले लोगों के बचाव के लिए सामाजिक सुरक्षा का प्रबंध जरूरी है। आईएमएफ के एक संचार निदेशक गेरी राइस ने कहा कि नए कानून बिचौलियों की भूमिका को कम करेंगे और दक्षता बढ़ाएंगे। इसके साथ ही राइस ने कहा कि ये कानून किसानों को खरीदारों से प्रत्यक्ष संबंध बनाने का मौका देंगे। इससे बिचौलियों की भूमिका कम होगी, दक्षता बढ़ेगी, जो किसानों को अपनी उपजी की बेहतर कीमत हासिल करने में मदद करेगा और ग्रामीण क्षेत्र की वृद्धि को बल देगा।
इन सुधारों के लाभ प्रभावशीलता समय पर निर्भर होंगे-
वहीं राइस ने आगे कहा कि इस प्रक्रिया में जिन लोगों की नौकरियां जाएंगी, उनके लिए कुछ ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि वे रोजगार बाजार में समायोजित हो सकें। इन सुधारों के लाभ प्रभावशीलता और उनके कार्यान्वयन के समय पर निर्भर होंगे। इसलिए सुधार के साथ इन मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।