वैसे तो देहरादून का अपना इतिहास रहा है लेकिन उसमें आईएमए ने भी अपनी वीर गाथा अलग से लिखी है। देहारादून में भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) का गौरवशाली इतिहास है क्या आपको मालूम है कि आज जंहा यह ऐतिहासिक परेड होती है वहां पहले क्या हुआ करता था नहीं, तो हम आपको बताते हैं।
देहारादून में जिस जगह पर आज भारतीय सैन्य अकादमी है वो 8 या 9 दशक पहले तक रेलवे स्टाफ कॉलेज हुआ करता था। इस जगह पर कॉलेज का 206 एकड़ कैंपस और दूसरी सभी चीजें भारतीय सैन्य अकादमी यानी आईएमए को ट्रांसफर की गई थी। आपको बताएं कि साल 1932 में 40 कैडेट्स के साथ इस अकादमी का सुनहरा सफर शुरू हुआ था।
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उस वक्त ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस प्रथम कमांडेंट बने थे। तब के वक्त में आइएमए के सुरुवती जत्थे को पायनियर बैच के नाम दिया गया था। इसी जत्थे में से फील्ड मार्शल सैम मानेक शा ओर म्यांमार के सेनाध्यक्ष रहे स्मिथ डन के साथ पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा पास आउट हुए थे।
तब किसी को ये नहीं मालूम था कि देहारादून में बना ये आईएमए देश की रक्षा में महत्वपूण योगदान देगा 10 दिसंबर 1932 को फील्ड मार्शल सर फिलिप डब्लू चैटवुड ने किया था।और तभी से इस बिल्डिंग का नाम उन्ही के नाम से चैटवुड बिल्डिंग पड़ा।