लखनऊ: पतंजलि कंपनी के बाबा रामदेव ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) व फार्मा कंपनियों से करीब 25 सवाल पूछते हुए एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर सवालिया निशान खड़ा करने की कोशिश की थी।
इसी के बाद से इस मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि अभी तक शांत नहीं हो रहा है। जबकि बाबा रामदेव द्वारा इस मामले में माफी मांगने की बात भी सामने आई है। बताया जा रहा है कि कुछ लोग इस विवाद को एलोपैथी तथा आयुर्वेद के बीच का विवाद बनाते जा रहे हैं।
एलोपैथी व आयुर्वेद के बीच विवाद नहीं
वहीं, आईएमए के चिकित्सकों ने यह साफ कर दिया है कि यह विवाद एलोपैथी व आयुर्वेद के बीच का विवाद नहीं है। दोनों पैथी का अपना योगदान है। साथ ही आईएमए के चिकित्सकों ने बाबा रामदेव के सवालों का जवाब देते हुए उनसे कुछ सवाल भी पूछे हैं।
यह सवाल जवाब अलग-अलग सोशल मीडिया ग्रुप पर चल रहे हैं। आइये जानते हैं उन जवाबों के बारे में जो आईएमए ने बाबा रामदेव को दिए और सवालों के बारे में भी जो उन्होंने बाबा रामदेव से पूछे हैं-
ये हैं आईएमए के जवाब व सवाल:
- रक्तचाप को नापने की मशीन एलोपैथी ने ही बनाई। उसी ने सिस्टोलिक व डायास्टोलिक बीपी का कांसेप्ट दिया। आयुर्वेद में नाड़ी परीक्षण होता है, उसी से रक्त प्रवाह की जानकारी होती है। उच्च व निम्न रक्तचाप के सही निदान के पश्चात सफल चिकित्सा के लिए एलोपैथी में अनेक निर्दोष औषधियां मौजूद हैं।
- डायबिटीज (मधुमेह) टाइप 1 व टाइप 2 प्रकार की होती हैं, यह बात एलोपैथी ने ही बताई। आयुर्वेद में तो मधुमेह के प्रकार वात, पित्त, कफ या मिश्रित पर आधारित होते हैं, इसलिए आयुर्वेद को टाइप 1 या 2 से कोई मतलब नहीं होता। बाबा रामदेव से अपेक्षा है कि वो टाइप 1 डायबिटीज की चिकित्सा बिना इन्सुलिन से करके दिखाएं व टाइप 2 का स्थायी इलाज अर्थात् कुछ महीनों के बाद बिना दिव्य मधुनाशनी के नियंत्रित करके दिखाएं।
- कोलाइटिस व अस्थमा का आयुर्वेद में स्थायी इलाज है तो बाबा रामदेव उसका चिकित्सा क्रम बताने की कृपा करें। स्थायी इलाज से तात्पर्य है कि कुछ दिनों से लेकर कुछ माह की औषधि के बाद दवा बंद कर दी जाए व रोग बिना दवा के भी नियंत्रित रहे। हाइपों व हाइपर थयरोइडिसम के लिए T3T4TSH की रिपोर्ट पर निर्भर न रहें, बल्कि आयुर्वेद के अनुसार ही त्रिदोष सिद्धांत पर निदान व इलाज करें।
- सिरोसिस ऑफ लिवर व हेपेटाइटिस एलोपैथी की टर्म्स हैं, उनका आयुर्वेद में भूलकर भी जिक्र न करें। लिवर फंक्शन टेस्ट व सोनोग्राफी हरगिज न करवाएं क्योंकि ये एलोपैथी की निदान पद्धति है। आप तो सिर्फ नाड़ी परीक्षा से ही निदान करके इलाज करें। यह जवाब व सवाल तो बानगी मात्र है, इसके अलावा कई सवाल-जबाव सोशल मीडिया पर आईएमए के चिकित्सकों ने किए हैं।