नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में पद्मभूषण पंडित राजन व पंडित साजन मिश्र ने भैरव से भैरवी तक के संगीत समारोह में अपनी प्रस्तुति से मन मोह लिया। उनके द्वारा की जा रही विश्व संगीत यात्रा 2017-18 ‘भैरव से भैरवी तक’ की शुरुआत 18 नवम्बर, 2017 को बनारस में हुई थी। यह कार्यक्रम आधिकारिक तौर पर भारत सरकार और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) द्वारा समर्थित है जिसमें आईजीएनसीए तीन शहरों बनारस, दिल्ली व बंगलुरु के लिए अपना योगदान दे रहा है।
बता दें कि कार्यक्रम की शुरुआत में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि पिछले एक डेढ़ वर्ष में हमने कुछ नए प्रयोग किये। हमने दुर्लभ रागों पर आधारित एक कार्यक्रम ‘भिन्न षड्ज’ की श्रृंखला तैयार कर श्रोताओं के लिए प्रस्तुत की। उसके बाद हमने एक कार्यक्रम रात्रि 8 बजे से लेकर सुबह 8 बजे तक का आयोजन किया। ऐसे ही प्रयोगों की कड़ी में यह तीसरी प्रस्तुति है। हमारा सौभाग्य है कि हमने अंतर्नाद कार्यक्रम के साथ मिलकर आईजीएनसीए के परिसर में पद्मभूषण पंडित राजन व पंडित साजन मिश्र द्वारा की जा रही ‘भैरव से भैरवी तक’ रागों की विश्व यात्रा को बनारस, दिल्ली व बेंगलुरु में आयोजित करने मौका मिला है।
‘भैरव से भैरवी तक’ कार्यक्रम की संकल्पना सलोनी गांधी ने की है। इस कार्यक्रम की रचना सुबह से शाम तक के रागों यानि राग ‘भैरव से राग भैरवी तक’ को ध्यान में रख कर की गयी है। उनके अनुसार “आमतौर पर आजकल शाम के समय ही कार्यक्रमों की प्रस्तुति होती है जिनमें शाम के राग ही गाए और सुनाये जाते हैं। इस कार्यक्रम के द्वारा हम दिन के अलग-अलग पहर पर आधारित रागों की प्रस्तुतियों का संयोजन अलग-अलग पहर के कार्यक्रमों के माध्यम से करेंगे।
वहीं समय और मौसम के अनुसार राग संगीत की दुनिया के लिए अद्वितीय है। शाम व रात के संगीत समारोहों में हम सफल रहे हैं लेकिन ‘भैरव से भैरवी तक’ कार्यक्रम द्वारा सुबह और दोपहर के संगीत समारोहों में दर्शकों को अलग-अलग रागों को सुनने का मौका दिया गया है, जिन्हें सामान्य तौर से कम ही गाया सुनाया जाता है। भैरव से भैरवी तक का यह कार्यक्रम संगीत के माध्यम से दुनिया को जोड़ने के लिए एक विनम्र प्रयास है।