उत्तराखंड

घूमने के हैं शौकीन तो आएं उत्तराखण्ड की इन पहाड़ियों की ओर, ठण्डक आपका इंतजार कर रही है

Natural place घूमने के हैं शौकीन तो आएं उत्तराखण्ड की इन पहाड़ियों की ओर, ठण्डक आपका इंतजार कर रही है

एजेंसी, गोपेश्वर। हिमालय की ऊंचाईं पर कुदरत की अद्भुत रचना फूलों की घाटी (वैली आफ फ्लावर्स) फिर 1 जून से पर्यटकों के लिए खुल गयी है। पुष्पावती नदी फूलों की इस घाटी के बीचों-बीच बहती है। शनिवार से अब कुदरत के दीवाने और प्रकृति के चितैरे यहां आ सकेंगे। रंगबिरंगे और आकर्षक फूलों के दीदार करने हैं तो फूलों की घाटी आकर इसे जरूर देखना चाहिये। खासकर अगस्त और सितम्बर माह में जब फूलों की घाटी का सौंदर्य अपने यौवन पर होता है। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी नन्दा देवी नेशनल पार्क के अंतर्गत आती है। 1 जून से पर्यटकों के लिए खुल गयी है। पर्यटकों के लिए वन विभाग ने पूरी तैयारियां की हैं। हिमालय के घुमंती लेखक और रचनाधर्मी संजय चौहान जो 43 वर्ष की उम्र में 20 बार फूलों की घाटी जा चुके हैं। यहां के चप्पे-चप्पे से परिचित हैं। बताते हैं कि फूलों की घाटी में दुनियाभर में पाए जाने वाले फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। कहते हैं कि महाभारत के वन पर्व में जिस नन्द कानन का जिक्र आया है वह यही फूलों की घाटी है।

हेमकुंड से कुछ ही दूरी पर
सिखों के पवित्र तीर्थ हेमकुंड साहब मार्ग से कुछ दूरी पर ही फूलों की घाटी है। इसकी प्राकृतिक खूबसूरती और जैविक विविधता के कारण 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया। 87.5 वर्ग किमी में फैली फूलों की घाटी न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। महाभारत काल में भी इसका जिक्र आया है। महाभारत काल के वन पर्व में इस घाटी को नंद कानन अथवा स्वर्ग में इंद्र का उपवन कहा गया है।

पर्वतारोही फ्रेक स्माइथ की खोज!
ब्रिटिश भारत में गढ़वाल के कमिश्नर रह चुके एटकिंसन ने अपनी किताब हिमालयन गजेटियर में 1931 में इसको नैसर्गिक फूलों की घाटी बताया। वनस्पति शास्त्री फ्रेक सिडनी स्माइथ जब कामेट पर्वत से वापस लौट रहे थे तो फूलों से खिली इस सुरम्य घाटी को देख मंत्रमुग्ध हो गए। 1937 में फ्रेक एडिनेबरा बाटनिकल गार्डन की ओर से फिर इस घाटी में आए और तीन माह तक यहां रहे।

पांच सौ प्रजाति से अधिक फूल!
लेखक संजय कहते हैं कि फूलों की घाटी में तीन सौ प्रजाति के फूल अलग-अलग समय पर खिलते हैं। यहां जैव विविधता का खजाना है। यहां पर उगने वाले फूलों में पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पॉपी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्म कमल, फैन कमल जैसे कई फूल यहाँ खिले रहते हैं। घाटी में दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु, वनस्पति, जड़ी बूटियों का है संसार बसता है।

कैसे पहुंचे फूलों की घाटी
फूलों की घाटी पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से गोविंदघाट तक पहुंचा जा सकता है। यहां से 14 किमी. की दूरी पर घांघरिया है। जिसकी ऊंचाई 3050 मीटर है। यहां लक्ष्मण गंगा पुलिया से बायीं तरफ तीन किमी की दूरी पर फूलों की घाटी है। फूलों की घाटी एक जून से 31 अक्तूबर तक खुली रहती है। मगर यहां पर जुलाई प्रथम सप्ताह से अक्तूबर तृतीय सप्ताह तक कई फूल खिले रहते हैं। यहाँ तितलियों का भी संसार है। इस घाटी में कस्तूरी मृग, मोनाल, हिमालय का काला भालू, गुलदार, हिमतेंदुआ भी दिखता है। फूलों की घाटी में अभी कुछ जगह पर बर्फ जमी हैं। बर्फ से टूटे रास्तों को वन विभाग ठीक करने में जुटा है। यहाँ आने वाले सैलानी इस बार बर्फ का दीदार कर सकते हैं

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