धर्म

अगर पिछले जन्म का जानना है रहस्य…तो पढ़ें ये खबर

jatashi janm1 अगर पिछले जन्म का जानना है रहस्य...तो पढ़ें ये खबर

नई दिल्ली। अक्सर लोगों में ऐसी जिज्ञासा रहती है कि वो पिछले जन्म में क्या थे? ऐसा कहा जाता है कि मनुष्य योनि आपको हजारो-लाखों पुण्य करने के बाद मिलती है। पृथ्वी पर इंसानी रुप में जन्म लेना किसी सौभाग्य से कम नहीं होता और इसे पाने के लिए आपको कई साल लंबी तपस्या करनी पड़नी है। इसके साथ ही ऐसा देखा गया है लोग अक्सर अपने पिछले जन्म को लेकर कई नए तरीके भी निकालते है यहां तक की लोग पंडित से लेकर कई वेबसाइट पर भी इसका हल निकालने की कोशिश करते है। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताएंगे जिसे आजमाकर आप अपने पिछले जन्म का रहस्य आसानी से जान सकते है।

jatashi_janm1

-जिस व्यक्ति की कुंडली में चार या इससे अधिक ग्रह उच्च राशि के अथवा स्वराशि के हों तो उस व्यक्ति ने उत्तम योनि भोगकर यहां जन्म लिया है।

– लग्न में उच्च राशि का चंद्रमा हो तो ऐसा व्यक्ति पूर्वजन्म में योग्य बैंकर होगा।

– लग्नस्थ गुरु इस बात का सूचक है कि जन्म लेने वाला पूर्वजन्म में वेदपाठी ब्राह्मण था। यदि जन्मकुंडली में कहीं भी उच्च का गुरु होकर लग्न को देख रहा हो तो वो पूर्वजन्म में धर्मात्मा, सद्गुणी एवं विवेकशील साधु अथवा तपस्वी था हो सकता है।

– लग्न, एकादश, सप्तम या चौथे भाव में शनि इस बात का सूचक है कि व्यक्ति पूर्वजन्म में शुद्र परिवार से संबंधित था एवं पापपूर्ण कार्यों में लिप्त था।

– यदि लग्न या सप्तम भाव में राहु हो तो व्यक्ति की पूर्व मृत्यु स्वभाविक रूप से नहीं हुई, ऐसा ज्योतिषियों का मत है।

– चार या इससे अधिक ग्रह जन्म कुंडली में नीच राशि के हों तो ऐसे व्यक्ति ने पूर्वजन्म में निश्चय ही आत्महत्या की होगी।

– गुरु शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या पंचम या नवम भाव में हो तो जातक पूर्वजन्म में संन्यासी रह सकता है।

– कुंडली के ग्यारहवे भाव में सूर्य, पांचवे में गुरु तथा बारहवें में शुक्र इस बात का सूचक है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में धर्मात्मा प्रवृत्ति का तथा लोगों की मदद करने वाला रहा होगा।

-कुंडली में स्थित लग्नस्थ बुध स्पष्ट करता है कि व्यक्ति पूर्वजन्म में वणिक पुत्र था एवं विविध क्लेशों से ग्रस्त रहता था।

-यदि जन्म कुंडली में सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो अथवा तुला राशि का हो तो व्यक्ति पूर्वजन्म में भ्रष्ट जीवन व्यतीत करना वाला था।

– लग्न या सप्तम भाव में यदि शुक्र हो तो जातक पूर्वजन्म में राजा अथवा सेठ था व जीवन के सभी सुख भोगने वाला व्यक्ति रहा होगा।

– सप्तम भाव, छठे भाव या दशम भाव में मंगल की उपस्थिति यह स्पष्ट करती है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में क्रोधी स्वभाव का था तथा कई लोग इससे पीड़ित रहते थे।

Related posts

जानिए नंदगांव में कैसी चल रहीं भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां?

Rozy Ali

Aaj Ka Panchang: 17 जुलाई 2022 का पंचांग, जानें आज की तिथि और राहुकाल

Rahul

देखें विडियो: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर जाने कैसे करें खास तैयारी

piyush shukla