सर्वाइकल दर्द वैसे तो किसी भी उम्र में हो सकती हैं लेकिन आजकल वयस्कों में यह बहुत आम हो गया है। शोध की मानें तो आज हर 10 में ये 8वां व्यक्ति इस दर्द से परेशान है। इसके कारण सिर्फ गर्दन ही नहीं बल्कि पूरा शरीर की दर्द करने लगता है, जिसके कारण रोजमर्रा के काम करने भी मुश्किल हो जाते हैं। हालांकि लोग सर्वाइकल दर्द से राहत पाने के लिए दवा, थेरेपी का सहारा लेते हैं.आमतौर पर गर्दन का दर्द हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं। इसकी तरफ कोई खास ध्यान नहीं देते और दिक्कत होने पर कुछ पेन किलर ले लेते हैं। लेकिन शायद आप नहीं जानते कि यह दर्द आपके लिए कितना खतरनाक हो सकता है। पिछले कुछ समय में इसके मरीज़ों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और हर उम्र के लोगों में इसके लक्षण प्रभावी तरीके से नज़र आ रहे हैं
यह रोग आजकल काफी तेजी से बढ़ रहा है। आज से 30-40 साल पहले लोग इस रोग का नाम तक नहीं जानते थे लेकिन आज किसी व्यक्ति के गले में सर्वाइकल कॉलर देखकर कोई भी कह देता है कि यह व्यक्ति सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस से ग्रसित है। आज लोग सुख सुविधा के भौतिक साधनों को जुटाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं। कंप्यूटर के आगे बैठे काफी अर्से तक काम करते हैं। कार्यालयों में गर्दन झुकाकर 8-10 घंटे काम करते हैं। सीना तान कर या गर्दन उठा कर चलने की बात लोग भूल ही गए हैं।
घर में ऐशो आराम के सारे भौतिक साधन मौजूद हैं। सो लोग मुलायम सोफे पर बैठते हैं या मुलायम बिस्तर पर सोते हैं,व्यायाम करने के लिए आज लोगों के पास समय ही नहीं है। इन्हीं सब कारणों से रीढ़ की बीमारियों की उत्पति होती है। लंबे अर्से तक आगे की ओर झुककर काम करना, गर्दन झुकाकर चलना, मुलायम बिस्तर पर सोना, मानसिक तनाव, घबराहट, चंचलता, शारीरिक श्रम या व्यायाम न करना.व्यायाम न करने से दो कशेरूकाओं के बीच की खाली जगह क्र मश: घटने लगती है।
इसे स्पांडिलाइटिस चेंज कहा जाता है। समय पर इलाज नहीं करने से स्नायुओं पर दबाव और बढ़ जाता है जिसके कारण समूचे हाथ और अंगुलियों में दर्द होने लगता है। कलम पकड़ने में और मुट्ठी बांधने में परेशानी होती है। उंगलियों में झुनझुनाहट महसूस होती है। समय पर सही इलाज नहीं करने पर हाथ की मांसपेशियां सूज कर समूचे हाथ के लकवाग्रस्त हो जाने की संभावना रहती है। शुरू में सावधानी बरत कर इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है।