मुंबई। नोटबंदी के बाद से वैसे तो विरोधी पार्टियां लगातार सरकार को निशाना बनाती रही हैं लेकिन महाराष्ट्र में भाजपा के गठबंधन वाली पार्टी शिवसेना ने एकबार फिर से इस निर्णय पर निशाना साधा है। शिवसेना ने केंद्र सरकार के दावे को चुनौती देते हुए नोटबंदी के बाद शहीद हुए सैनिकों की वास्तविक संख्या का खुलासा करने को कहा है। शिवसेना ने कहा है कि भले ही सरकार दावे करती रहे कि नोटबंदी से आतंकवाद में कमी आई है पर असलियत इसका विपरीत है।
अपने मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि जम्मू के अखनूर सेक्टर में कल जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स (जीआरईएफ) के शिविर पर हुआ हमला, यह साबित करता है कि नोटबंदी से आतंकी पस्त नहीं हुए हैं और उनकी आतंकी गतिविधियां बिना किसी रूकावट के जारी है। संपादकीय में कहा गया है, ‘आतंकवादी एक समय में सार्वजनिक स्थानों पर हमला किया करते थे लेकिन अब वे सीधे सैन्य शिविरों को निशाना बना रहे हैं और जवानों को मार रहे हैं। क्या इसे परिवर्तन के तौर पर देखा जाना चाहिए? आतंकी हमलों को नाकाम किए जाने को नोटबंदी के प्रमुख कारण के तौर पर उद्धत किया गया।
गौरतलब है कि शिवसेना ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि अगर इतना ही शौर्य है, तो उसी हिम्मत के साथ वह देश में समान नागरिक संहिता लागू कराए, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराए और संविधान की धारा 370 को समाप्त करे। इससे पहले भी शिवसेना ने सामना के जरिए ही सरकार के इस निर्णय पर तंज कसा था।