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खरीदारी करते समय मिलावटी रंगों की कैसे करें पहचान, होली में त्वचा का रखें ख्याल

खरीदारी करते समय मिलावटी रंगों की कैसे करें पहचान, होली में त्वचा का रखें ख्याल

आदित्य मिश्र, लखनऊ: होली के रंग कई बार खुशियों में भंग डाल देते हैं। केमिकल का त्वचा पर बहुत बुरा असर होता है। यह हमारे बालों को भी प्रभावित करता है। ऐसे में मिलावटी रंगों से कैसे बचें? यह काफी महत्वपूर्ण सवाल हो जाता है।

केमिकल वाले रंग कैसे पहचानें

आज के समय में ज्यादातर खरीदारी बाजार से की जाती है। ऐसे में सही और मिलावटी सामान की पहचान करना भी काफी महत्वपूर्ण होता है। कुछ आसान जानकारी इकट्ठा करके आप केमिकल वाले रंग खरीदने से बच सकते हैं।

खरीदारी करते समय मिलावटी रंगों की कैसे करें पहचान, होली में त्वचा का रखें ख्याल
होली
  1. कोई भी रंग या गुलाल खरीदते समय उसकी पैकेजिंग पर विशेष ध्यान देना आवश्यक होता है। एक बार सामग्री के बारे में पूरी जानकारी पढ़नी चाहिए। इसको बनाने में किन-किन चीजों का इस्तेमाल किया गया है, यह जानना भी जरूरी होता है।
  2. हाथ में लेकर भी आप मिलावटी रंग को पहचान सकते हैं। जिस रंग को बनाने में केमिकल का इस्तेमाल होता है, वह भारी होता है। जबकि प्राकृतिक रंग काफी हल्का होता है। इसके साथ ही प्राकृतिक रंग में चमक भी कम होती है।
  3. प्राकृतिक रंगों में किसी भी तरीके का स्पार्कल या चमकदार कण नहीं होता। जबकि केमिकल वाले रंगों में इसका भी इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में अपनी हथेली पर रखकर आप आसानी से इसका पता लगा सकते हैं।
  4. सभी प्राकृतिक रंग 6 से 7 महीने तक ही इस्तेमाल किए जाते हैं। उनकी एक्सपायरी डेट इसी के आसपास लिखी होती है। जबकि केमिकल वाली रंग की एक्सपायरी डेट 3-4 साल तक भी हो सकती है। एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसे किसी भी पैकेट का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
  5. सबसे आसान तरीका है रंग को पानी में घोलना, प्राकृतिक रंग आसानी से घुल जाता है। जबकि जिस रंग में केमिकल मिला होता है, उसे घुलने में दिक्कत आती है और कुछ कण शेष रह जाता है।
  6. कुछ वैज्ञानिक तरीकों से भी रंगों की शुद्धता का पता लगाया जाता है, जिनमें पैच टेस्ट भी प्रमुख है। इसके माध्यम से आप अपनी त्वचा और एलर्जी से जुड़ी जानकारी पा सकते हैं। कई लोगों को किसी विशेष पदार्थ से एलर्जी होती है। ऐसे में आपके लिए यह जानना भी आवश्यक है कि रंग किन-किन चीजों से मिलकर बना है।
  7. सभी रंग जिन्हें पैकेट में रखकर बाजार में बेचा जाता है, उनका लैब टेस्ट भी किया जाता है। इस लैब टेस्ट के बाद एक सर्टिफिकेशन नंबर के माध्यम से रिपोर्ट की जानकारी ली जा सकती है। ऐसे में आप उस पैकेट की शुद्धता का आकलन इस नंबर से भी कर सकते हैं।
करें मिलावटी रंगों की पहचान, होली में त्वचा का रखें ख्याल
प्राकृतिक रंग
प्राकृतिक तरीकों से भी बनते हैं रंग

पहले के समय में जब बड़ी कंपनियां और उपकरण नहीं होते थे, तो लोग प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते थे। हमारे आसपास मौजूद कई चीजों का इस्तेमाल करके हम प्राकृतिक रंग बना सकते हैं। इससे हमारी त्वचा और त्योहार दोनों में खुशियां बरकरार रहती हैं।

उदाहरण के लिए पीला रंग बनाने के लिए हल्दी और बेसन का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त चंदन, गुलाब, टेसू और कई अन्य फूलों की पंखुड़ियों से भी रंगों का निर्माण होता है।

अलग-अलग रंग का विशेष महत्व

रंग सिर्फ दिखाई ही नहीं देते, इनके भाव को महसूस भी किया जा सकता है। हर एक रंग अपने साथ एक संदेश लिए रहता है। जैसे पीला रंग पवित्रता, यश और समृद्धि का प्रतीक है। होली के त्यौहार में इस रंग का खूब इस्तेमाल होता है। इसके साथ ही नीला रंग शांति, गंभीरता और स्थिरता को दर्शाता है। सफेद रंग सादगी और पूर्णता का संदेश देता है। हरा रंग जीवन और पर्यावरण को समेटे हुए है। जबकि लाल रंग उल्लास, खुशी और शुद्धता को दर्शाता है।

होली के त्यौहार में रंगों का बहुत सावधानी से इस्तेमाल करना चाहिए। एक दिन की खुशी कई बार जीवन भर का संकट दे जाती है। ऐसे में सही और शुद्ध रंग का इस्तेमाल आपके मनोरंजन को और अच्छा कर सकता है।

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