नई दिल्ली। दिसंबर 2008 के दौरान वीडियोकॉन ग्रुप के मालिक वेणुगोपाल धुत ने आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ व एमडी चंदा कोचर के पति दीपक कोचर व उनके दो रिश्तेदारों के साथ मिलकर एक कंपनी खोली। फिर एक लोन देने वाली किसी संस्था से इस कंपनी को 64 करोड़ रुपए का लोन दिलवाया गया। लेकिन इसके बाद धुत ने इस कंपनी के स्वामित्व को एक ट्रस्ट के हवाले कर दिया। इस ट्रस्ट का नेतृत्व दीपक कोचर कर रहे थे। लेकिन इस खरीद में धुत को सिर्फ 9 लाख रुपए दिए गए। इस तथ्य का खुलासा एक एक अनुसंधान के दौरान हुआ
अब जानकार सवाल उठा रहे हैं कि जब इस कंपनी को किसी संस्था ने 64 करोड़ का सिर्फ लोन ही दिया तो फिर इस कंपनी की कीमत महज 9 लाख रुपए कैसे हो गई। इस मामले में की गई अनियमितता को बल तब भी मिलता है जब यह जानकारी सामने आ रही है कि वीडियोकॉन ग्रुप को आईसीआईसीआई बैंक से 3,250 करोड़ रुपए का लोन मिलने के बाद इस कंपनी को उक्त ट्रस्ट के हवाले किया गया।
इस लोन की राशि में से 86 फीसदी यानी 2,810 करोड़ अंत तक वापस नहीं किया गया और 2017 में वीडियोकॉन के खाते को एनपीए घोषित कर दिया गया। हालांकि दो दिन पहले आईसीआईसीआई बैंक ने एक बयान जारी कर कहा था कि वीडियोकॉन को लोन दिए जाने के मामले में कोई भी अनियमितता नहीं बरती गई है और बैंक ने अपने एमडी चंदा कोचर में भरोसा जताते हुए उन्हें क्लीनचिट दे दी थी।
कल शुक्रवार को इंडियन इंडियन इंवेस्टर प्रोटेक्शन कांसिल के ट्रस्टी अरविंद गुप्ता ने कहा था कि आईसीआईसीआई लोन मामले में बैंक की सीईओ चंदा कोचर को लाभ पहुंचा है। इस बीच सीबीआई के सूत्रों ने भी बताया है कि एजेंसी ने दीपक कोचर व धुत के खिलाफ एक प्राथमिक जांच शुरू कर दी है।