नई दिल्ली। हुर्रियत नेता अमित शाह गिलानी व अलगाववादियों का आरोप है कि सेना द्वारा चलाए जा रहे स्कूल अगली पीढ़ी को अपने धर्म-संस्कृति से दूर कर रहे हैं। जबकि वो खुद अपने व अपने संबंधियों के बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवा रहे हैं। कश्मीर घाटी में हुर्रियत नेता व अलगाववादियों का दोहरा चेहरा सामनें आया हैं। ये नेता एक तरफ युवकों को उकसाते हैं तथा सेना के खिलाफ पत्थर बाजी करते हैं वहीं दूसरी तरफ ये लोग अपनें बच्चों को अच्छे स्कूल में भेज अच्छी शिक्षा दिलातें हैं।
इन नेताओं के बच्चे व रिश्तेदार किस तरह से ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहे हैं, इसका एक उदाहरण सैयद अली शाह गिलानी का परिवार व गुट है, जो कश्मीर के युवाओं को ‘बड़े मकसद’ से हमेशा अपनी पढ़ाई छोड़कर सड़कों पर उतरने को कहते रहे हैं। अप्रत्यक्ष रूप से ‘पत्थरबाजी’ के लिए उनसे अनुरोध करते रहे हैं।
गिलानी के बेटे नईम गिलानी पाकिस्तान के रावलपिंडी में चिकित्सक हैं। वहीं उनके दूसरे बेटे जहूर भारत में एक प्राइवेट एयरलाइंस के मेंबर हैं। गिलानी की बेटी जेद्दा में एक शिक्षक है और पति वहां एक इंजीनियर है। गिलानी गुट के महासचिव मोहम्मद अशरफ सेहराई ने भी अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाई। उनका बेटा आबिद सेहराई दुबई में एक कंप्यूटर इंजीनियर है। ऐसे और भी कई नाम हैं, जिनके बच्चे पढ़-लिख कर बाहर कहीं अच्छी व सुकून जिंदगी जी रहे हैं।
भाजपा ने इसको नकारते हुए कहा कि हुर्रियत नेता सेना द्वारा संचालित स्कूलों से डरे हुए हैं, क्योंकि वे कश्मीरी बच्चों के बीच ‘राष्ट्रवाद की भावना’ को बढ़ा रहे हैं। घाटी में छात्रों और सुरक्षा बलों के बीच सैकड़ों दिक्कतों के बाद ये बयान सामने आए थे।