निर्मल उप्रेती, संवाददाता, अल्मोड़ा
एंकर- प्रदेश सरकार जहां पहाड़ों के पलायन रोकने के साथ लोगों को कृषि करने के लिये प्रोत्साहित करने का दावा कर रही है। वहीं आज अल्मोड़ा जनपद के सोमेश्वर क्षेत्र की 65 ग्राम सभाओं के कास्तकार हजारों माली उपजाऊ भूमि में आर्गेनिक आलू की फसल बहुत अधिक मात्रा में पैदा करते हैं। लेकिन कोल्ड स्टोर और विपणन की व्यवस्था नहीं होने पर किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
हजारों कुंतल आलू की होती है पैदावार
यहां के किसान कोल्ड स्टोर और मंडी के अभाव में अपने आलू को ओने पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं। अल्मोड़ा जनपद की बोरारो घाटी जो कृषि के लिये प्रसिद्ध है जहां के सैकड़ों किसान आलू का उत्पादन करते हैं। जो पूर्ण रूप से ऑर्गेनिक है। यहां के किसानों का मुख्य आया का स्रोत है। अगर बात करें पूरे क्षेत्र की तो यहां हजारों कुंतल आलू की पैदावार होती है। पर आज इसका उचित मूल्य न मिलने से किसानों में हताश है।
‘बीज की कीमत भी नहीं मिल रही’
किसानों ने बताया कि पूरे 6 महीने के मेहनत के बाद भी उनको निराशा ही हाथ लगती है। जबकी लगभग आधे दर्जन गांव के हजारों नाली भूमि में इसकी पैदावार की जाती है। उन्होंने बताया कि आलू की पैदावार अच्छी होती है, पर यहां पर मंडी और कोल्डस्टोर न होने के कारण उनको ओने पौने दामों में इसको बेचना पड़ता है। जिससे उनको इसके बीज की कीमत भी नहीं मिल पाती है।
इस आलू को स्वर्ण आलू भी कहा जाता है
किसानों ने बताया कि यहां का आलू बहुत गुणकारी है, पूर्ण रूप से जैविक है। और इस आलू को स्वर्ण आलू भी कहा जाता है। पर उनका कहना है की उनको आज इसका बीज तक उद्यान विभाग उनको नहीं दे पाता है। जिससे उनको बीज लाने के लिये दूर दूर भटकना पड़ता है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि मंडी और कोल्ड स्टोर सरकार द्वारा खोला जाना चाहिए। साथ ही उद्यान विभाग से उनको बीज मिलना चाहिये ताकि यहां और अधिक मात्रा में लोग इसकी पैदावार बढ़ा सकें।
सैकड़ों लोगों ने किया पलायन
आज पहाड़ों के सैकड़ों गांव के लोग अपनी रोजी रोटी के लिये पलायन कर गए हैं। वही जो गांव पलायन से बचे हैं जिनका कृषि ही आजीविका का साधन है। उन इलाकों में कोल्डस्टोर मंडी के अभाव के कारण खेती को रोजगार बनाने वाले गांवों के लोगों को उचित संसासधन न होने के कारण हताशा का माहौल पैदा होने लगा है। जिसके लिये प्रदेश सरकार को किसानों की समस्या के बारे में सोचने की आवश्यकता है।