लखनऊ। उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने मंगलवार को राज्य सरकार को कड़े निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा है कि कोविड मरीज जिसको जरूरत हो, उसको अस्पतालों में बेड मिले।
मरीजों की भर्ती में सीएमओ के रेफरल लेटर का सिस्टम खत्म किया जाए। प्रत्येक अस्पताल के बाहर कोविड मरीजों के लिए कितने बेड खाली और कितने भरे हैं, इसकी सूचना स्पष्ट रूप से लिखा जाए। आयोग ने कहा है कि इसको स्वतः संज्ञान में लिया जाएगा।
मानवाधिकार आयोग ने लिया स्वतः संज्ञान
कोरोना मरीजों के राजधानी में हो रहे बुरे हाल पर मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए यह आदेश जारी किया है। मानवाधिकार आयोग के न्यायमूर्ति केपी सिंह और सदस्य ओपी दीक्षित की ओर से यह आदेश मंगलवार को किया गया है। आदेश में कहा गया है कि बेडों की सूचना को पारदर्शी रखते हुए सूचना को अस्पतालों के बाहर सही व स्पष्ट रूप से लिखी जाए। अस्पतालों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह पर मरीजों को सीधे भर्ती किया जाए। मुख्य चिकित्सा अधिकारी के रेफरल लेटर के सिस्टम को तत्काल समाप्त कर दिया जाए। इस आदेश का पालन कराने की जिम्मेदारी अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग को सौंपी गई है।
सीएमओ का रेफरल मिलने में देरी की वजह से हो रही है कोरोना संक्रमितों की मौत
कोरोना संक्रमित मरीजों को इलाज मिलने में सबसे बड़ा कारण सीएमओ का रेफरल लेटर देरी से मिलना है।सीएमओ ऑफिस से रेफरल लेटर कोरोना संक्रमित मरीज को जब तक किसी अस्पताल में भर्ती होने का रेफरल लेटर नहीं मिल जाता। तब तक किसी भी कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज को कोई अस्पताल भर्ती नहीं कर सकता।इसके वजह से बीते कई दिनों से राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमित की मौत हो रही थी।
हालात ऐसे थे कि इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर के बाहर लोग एंबुलेंस में अपने मरीज को ऑक्सीजन पर लेकर आए हुए थे और वे सीएमओ ऑफिस से रेफरल लेटर की मांग कर रहे थे इसी दौरान बाहर ही कई मरीजों की मौत हो गई। इसके बाद अब मानव अधिकार आयोग की तरफ से यह सराहनीय फैसला लिया गया है जिसके बाद उम्मीद है आने वाले दिनों में स्थितियां बेहतर होंगी।