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हम पढ़ते बानी हो… सरकारी नौकरी VS प्यार, टूटते रिश्तों की कहानी

हम पढ़ते बानी हो… सरकारी नौकरी VS प्यार, टूटते रिश्तों की कहानी

लखनऊ। कुछ तो मजबूरिया रही होंगी, यूं कोई बेवफा नहीं होता…मशहूर शायर बशीर बद्र की नज्म की ये कुछ लाइनें ना जाने कितने प्यार में टूटने वाले लोगों के लिए सब्र का सबब बनी होंगी। लेकिन, जो मजबूरियां रही होंगी क्या उस पर कोई बात नहीं हो सकती। उसका कोई रास्ता नहीं निकल सकता। खैर, ये एक अंतहीन बहस का मुद्दा हो सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि अगर ये बहस अंतहीन ही है तो इसकी शुरूआत क्यों।

तो जान लिजिए आखिर इसका जिक्र क्यों। भोजपुरी सिनेमा किसी पहचान का मोहताज नहीं है। हमने अक्सर भोजपुरी के गाये हुए गानों में द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग होते देखा है। अश्लील गानों के कारण भोजपुरी सिनेमा अक्सर विवादों में रहता है। यह होना भी जरूरी है।

लेकिन, इस बीच हम भोजपुरी सिनेमा की अच्छाइयों पर ध्यान नहीं दे पाते। शायद ही कोई ऐसा सिनेमा हो जो सामयिक मुद्दों पर मुखर होता हो, पक्ष और विपक्ष की आवाज को भोजपुरी सिनेमा ने हमेशा स्थान दिया है। कला के जरिए राजनीति, महंगाई, बेरोजगारी, किसान, खत्म होती परंपराओं को सहेजने का प्रयास किया है।

एक ऐसे ही मुद्दे पर भोजपुरी के सुपरस्टार का खेसारी लाल यादव और अंतरा सिंह प्रियंका का युगल गीत सुर्खियां बटोर रहा है। भले ही भोजपुरी सिनेमा ने इसे एक हास्य व्यंग्य के रूप में प्रस्तुत किया है लेकिन सच यह है कि हजारों युवाओं के दिल की बात कह दी गई है। यू-ट्यूब पर रिलीज हुआ हम पढ़ते बानी हो…शीर्षक गीत तीन सप्ताह में ही 13 लाख मिलियन व्यूज को पार कर गया है।

पहले गाने का अर्थ समझिए

गाने की शुरुआत में एक लड़की की शादी हो चुकी है और वो कुछ सालों के बाद अपने प्रेमी से मिलने आती है। अपने प्रेमी को देखने के बाद वह कहती है रूप रेखा उहे बाटे बदलल ना भेष हो, गली-गली घूमत ताड़ा होके मेहरलेस हो, शादी वादी करके हो जा सेटल हम कहते बानी हो…इसके बाद प्रेमी कहता है मिलल स्कूलिया वाली साइकिल पर हम चढ़ते बानी हो, तोहार लइका हो गईल हम पढ़ते बानी हो…

ये तो फिलहाल भोजपुरी में है, इसको हिंदी में समझिए। प्रेमिका कहती है कि शक्ल सूरत से तो बिल्कुल नहीं बदले, लेकिन अभी तक बीबी नहीं मिली तुमको और गली-गली घूम रहे हो। वह आगे कहती है कि शादी करके सेटल हो जाओ, ये मैं कबसे तुमको कह रही हूं। प्रेमी जवाब देते हुए अपना दर्द बयां करता है कि स्कूल में जो साइकिल मिली थी हम अभी तक वही चला रहे हैं, और तुम बच्चे की मां बन गई और अभी तक हम पढ़ ही रहे हैं।

इतनी चर्चा क्यों

भोजपुरी समसामयिक मुद्दों के साथ-साथ विरह, प्रेम आदि को लेकर तमाम गीतों को गाता है लेकिन इस गाने पर इतनी चर्चा क्यों रही है, यह सवाल लाजिमी है। इसका जवाब देते हुए प्रयागराज में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवा आदित्य कहते हैं कि यह सिर्फ गाना नहीं है, हजारों युवाओं के दिल की तड़प है जिसको बयां किया गया है। वह बताते हैं कि सिर्फ प्रयागराज में ही उनके जानने वाले दर्जनों दोस्त हैं जिन्हें अपने प्यार की कुर्बानी सिर्फ इसलिए देनी पड़ी कि उन्हें समय रहते नौकरी नहीं मिली।

वहीं नाम नहीं छापने की शर्त पर आदित्य के ही एक दोस्त कहते हैं कि यह तो बिल्कुल मेरी कहानी है। मैं जिस लड़की से प्यार करता था वहां सब सही था, लेकिन मेरे पास नौकरी नहीं थी तो उसके घरवालों ने कहीं और शादी कर दी। आज उसकी दो साल की बेटी है और मैं यहीं अभी प्रयागराज में ही हूं।

ऐसी ही कई कहानियां हैं जिनके उपर इस गाने की एक-एक लाइनें फिट बैठती हैं। यही कारण है कि यह गाना खूब लोकप्रिय हो रहा है।

क्या कहते हैं गीतकार

मिशन के गीत लिखने वाले पंकज कुमार कहते हैं कि फिल्म की कहानी हो या संगीत, यह हमारी जिंदगी के बीच से निकलती है। अंतर यह है कि भोजपुरी सिनेमा इस मामले में अन्य सबसे ज्यादा मुखर है। वह अपील करते हैं कि कि हम कलाकारों कोशिश करनी चाहिए कि गीतों के बदले बदलावों पर बात करें, परंपराओं को जिंदा रखें। समाज में जो घट रहा है उसे सबके सामने लाएं।

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