नई दिल्ली। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मार्ग्रेट अल्वा की आत्मकथा में कुछ बातें पार्टी हाईकमान के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। मार्ग्रेट ने अपनी आत्मकथा में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के निधन पर पार्टी के अपमानजनक रवैये पर दुख जताया है। उनका कहना है कि सोनिया गांधी राव के प्रति संदेह रखती थीं।
उनके मुताबिक राजीव गांधी से जुडे बोफोर्स मामले को खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ तत्कालीन नरसिंह राव सरकार के अपील करने के फैसले ने राव को लेकर सोनिया गांधी के मन में संदेह बढा दिया था जिससे दोनों के बीच दूरियां बढी।
किताब में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के साथ अपने रिश्तों और वीवीआईपी चॉपर घोटाले में नाम आए बिचौलिए के पिता के साथ संजय गांधी के रिश्तों का खुलासा किया है। अल्वा की किताब अभी बाजार में नहीं आई है, लेकिन उसमें प्रकाशित कुछ हिस्सों के बाहर आ जाने से कांग्रेस के लिए नया विवाद शुरू हो गया है। “करेज एंड कमिटमेंट”के नाम से लिखी किताब के विमोचन से पहले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कई पुरानी बातों को याद किया।
अल्वा ने आरोप लगाया कि जब केंद्र मनमोहन सिंह की सरकार थी तो मनमोहन सिंह ने उन्हें अपने कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे, लेकिन सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को ऐसा करने से रोक दिया। हर फैसले को खुद मनमाने ढंग से सोनिया गांधी लेती थीं।
कांग्रेस में विभिन्न पदों पर रह चुकीं अल्वा को कर्नाटक विधानसभा चुनावों में पार्टी टिकट ‘बेचे’ जाने के आरोपों के बाद उन्हें 2008 में इस्तीफा देने के लिए कहा गया। उनके आरोपों को पार्टी में ‘‘केंद्रीकृत फैसला लेने” के कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना समझा गया। 74 वर्षीय अल्वा ने कहा कि राव के निधन पर जिस तरह उनके साथ व्यवहार हुआ उससे उनको चोट पहुंची। साथ ही कहा, ‘‘किसी दिवंगत नेता के साथ इस तरह व्यवहार नहीं किया जाना चाहिये।”