उल्का पिंड और उनकी तबाही के बारे में अकसर वैज्ञानिक लोगों को बताते रहते हैं। वैज्ञानिक कई बार दावा कर चुके हैं कि, उल्का पिंड के गिरने से ही डायनासोर का खात्मा हुआ था।
इसके साथ ही नासा की ऐसे खतरनाक उल्का पिंडों पर काम कर रहा है जो पृथ्वी को तबाह कर सकते हैं। इसके साथ काफी लोगों के मन में सवाल उठता है कि, क्या खतरनाक उल्का पिंड के बारे में तबाही से पहले पता चल सकता है? हमारी धरती ने इसका एक सबूत 1908 में साइबेरिया के टुंगुस्का में देखा था। जब एक क्षुद्र ग्रह धरती से टकराने से पहले जलकर नष्ट हो गया था। इसकी वजह से क़रीब 100 मीटर बड़ा आग का गोला बना था. इसकी चपेट में आकर 8 करोड़ पेड़ नष्ट हो गए थे।
ऐसी किसी तबाही से बचाने के लिए दुनिया के कई वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। वे किसी एस्टेरॉयड के धरती से टकराने का पूर्वानुमान लगाकर, उससे निपटने के उपाय तलाश रहे हैं।ऐसी ही एक टीम हाल ही में अफ्रीकी देश बोत्सवाना गई थी। कांटेदार झाड़ियों और घास की मोटी परत के बीच ये वैज्ञानिक एक ख़ास चीज़ तलाश रहे थे।
उन्हें मोटे तौर पर तो इस बात का अंदाज़ा था कि उन्हें 200 वर्ग किलोमीटर के दायरे में किस जगह पर उसे खोजना है। लेकिन, उस एस्टेरॉयड के टुकड़े बहुत ही छोटे थे। तभी अचानक वैज्ञानिकों की नज़र एक काले, धूल भरे पत्थर पर पड़ी. ये हमारी धरती का नहीं था. ये बाहर से आया था और इसने काफी तबाही भी मचाई थी।
जिस टीम ने इस टुकड़े को खोजा, उसे ये उम्मीद है कि दूरबीनों की मदद से एक दिन ऐसी घटना के प्रति लोगों को आगाह किया जा सकेगा।
अगर ख़तरा गंभीर होगा, टकराने वाला कोई धूमकेतु या उल्कापिंड बड़े आकार का होगा, तो ये चेतावनी दुनिया को बड़ी तबाही से बचा लेगी।
आपको बता दें, इस क्षुद्र ग्रह को एटलस यानी एस्टेरॉयड टेरेस्ट्रियल इम्पैक्ट लास्ट एलर्ट सिस्टम की दूरबीन ने भी देखा था।
https://www.bharatkhabar.com/operation-all-out-in-baramula-by-indian-army/
वैज्ञानिक तभी से इस खास उल्का पिंड की जांच कर रहे हैं। और लोगों को बताने की कोशिश कर रहे हैं कि, अगर कोई खतरनाक उल्का पिंड धरती से टकराता है तो टकराने से पहले ही लोगों को इसकी चेतावनी दे दी जाएगी।