संवाददाता, मेरठ। हाईकोर्ट ने मेरठ के अधिकारियों से जवाब तलब की है कि आखिर तीन दिनों में कबाड़ी बाजार के कोठों को कैसे खाली कराएंगें। गौरतलब है कि मेरठ के कबाड़ी बाजार में सेक्स वर्करों के कोठे खाली कराए जाएंगे। तैयारी शुरू हो गई है।
हाईकोर्ट ने 23 अप्रैल को मेरठ के डीएम, एसएसपी और सीएमओ को कोठे खाली कराने की रिपोर्ट के साथ तलब किया है। कोठों के आसपास ही तीन सरकारी स्कूल हैं, इस कारण कबाड़ी बाजार से ही बच्चों का आना-जाना होता है। कई बार छापेमारी में नाबालिग लड़कियों से जबरन यह धंधा कराया जाता मिला। यहां आने वाले नशेड़ियों व आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के कारण स्थानीय लोग और व्यापारी भी परेशान हैं।
इस गोरखधंधे को लाइसेंस किस विभाग ने या कब दिया, इससे अफसर भी अनजान हैं। पुलिस के अनुसार कबाड़ी बाजार में 75 कोठे संचालित हैं, जिनमें 400 सेक्स वर्कर हैं। इनकी रिपोर्ट के अनुसार, 2009 से मेरठ में यह गोरखधंधा चल रहा है।
जबकि वास्तविकता में यहां दशकों से कोठे संचालित हैं। इस प्रकरण में जनहित याचिका डालने वाले हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने आरटीआई के तहत तीनों विभागों से जानकारी जुटाने के बाद रिट दायर की थी। उन्होंने बताया कि नगर निगम मेरठ का कहना है कि कबाड़ी बाजार में तीन स्कूल चल रहे हैं।
मेरठ के स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट है कि इन कोठों में सात सेक्स वर्करों की मौत हो चुकी है। इनमें एक मौत एड्स से, दूसरी छत से कूदकर हुई। एक सेक्स वर्कर को ग्राहक गोली मारकर चला गया था। छह अन्य सेक्स वर्करों में एचआईवी पॉजिटिव पाया गया। अधिवक्ता का कहना है कि नियमानुसार शिक्षण संस्थानों से दूर कोठे होने चाहिए, जबकि मेरठ में करीब 50 साल से तीन स्कूल कबाड़ी बाजार में चलने बताए गए हैं।