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कैसे खुलते हैं केदारनाथ जी के कपाट, क्या हैं भगवान की डोली का रहस्य?

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हिमालय की खूबसूरत वादियों में बसे बाबा केदारनाथ का मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में बसा हुआ है। हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। केदारनाथ के बारे में कहा जाता है कि, भगवान शिव का ये सबसे पुराना स्वं भू मंदिर है।

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मौसम के चलते केदारनाथ मंदिर 6 महींने खुला रहता है और 6 महीनें बंद रहता है। बाबा केदार के दर्शन अप्रैल महीने से लेकर नवंबर के महीनें तक ही किए जा सकते हैं।
इस बार भी विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। केदारनाथ मंदिर के द्वार सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर खोले जाएंगे।
आपको बता दें, सर्दियों में भगवान केदार की पूजा उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में होती है और ये इसलिए होता है क्योंकि केदारनाथ मंदिर सर्दियों के मौसम में पूरी तरह से बर्फ से ढ़का रहता है। इसलिए सर्दियां शुरू होने से पहले ही भगवान शिव की मूर्ति को उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में पूजा पाठ के साथ विराजमान किया जाता है और जैसे ही सर्दियां खत्म होती हैं। वैसे ही भगवान शिव की मूर्ति को पुन: केदारनाथ मंदिर में पूजा पाठ के साथ दौबारा विराजमान कर दिया जाता है।
पौराणिक कथाओं की माने जब बद्रीनाथ और केदारनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं तो भगवान शिव की पूजा देवताओं के द्वारा की जाती है। इसलिए कहा जाता है कि, मंदिर बंद हो जाने के बाद मंदिर के अंदर से घंटियों की आज सुनाई देती है।
तो वहीं मंदिर को बंद करने से पहले अखंड जोत जला ई जाती है ये जोत कपाट खुलने तक जलती रहती है और जोत के दर्शन करना बेहद शुभ माना जता है।
इस बार भी पूरी पूजा पाठ के साथ 26 अप्रैल को फूलों से सजी पालकी में भगवान शिव की प्रतिमा उखीमठ से रवाना हुई और आज 27 अप्रैल 2020 पूरे 6 महीने के बाद श्री केदारनाथ जी की पालकी उखीमठ से केदारनाथ धाम पहुंच गई।
29 अप्रैल को सुबह 6:10 मिनट पर बाबा केदार के कपाट खोल दिए जाएंगे। इस साल कोरोना महामारी के चलते सामान्य दर्शनों पर भी रोक हैं जबकि किसी भी तरह भीड़ भाड़ की अनुमति नहीं है। ऐसे में हालात सामान्य होने तक यहां यात्रियों के पहुंचने की भी कोई उम्मीद नहीं है। प्रशासन ने डोली के साथ जाने वाले सूचीवद्ध लोगों को भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ और केदारनाथ ये दो प्रधान तीर्थ हैं, दोनो के दर्शनों का बड़ा ही महत्व माना जाता है। केदारनाथ के बारे में लिखा है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है और केदारनापथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों का नाश करता है।
इसलिए 30 अप्रैल को भगवान बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। कपाट ब्रह्म मुहूर्त में प्रात: 4 बजकर 30 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। बद्रीनाथ धाम के कपाट पिछले साल 17 नवंबर को शाम 5:13 बजे शीतकाल के लिए बंद किए गए थे और अब अप्रैल को खुलने जा रहे हैं।
इससे पहले विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का आगाज गोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने से हो गया है। 26 अप्रैल के भ मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर गंगोत्री धाम और 12 बजकर 41 मिनट पर यमुनोत्री धाम के कपाट खोल दिए गए हैं।
गढ़वाल हिमालय के चार धाम के नाम से प्रसिद्ध बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट सर्दियों के मौसम में भारी बर्फवारी और भीषण ठंड के कारण हर साल अक्टूबर-नवंबर में बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल दोबारा अप्रैल-मई में श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं।

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आपको बता दें चार धाम यात्रा तभी पूरी होती है जब गंगोत्री,यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन किए जाएं। हर साल विश्व प्रसिद्ध चार धाम यात्रा के शुरू होने से लाखों की तादाद में लोग उत्तराखंड पहुंचते हैं व चार धाम यात्रा को करते हैं।

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