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जिस उल्कापिंड ने खत्म कर दिए थे डायनासोर उसी उल्का ने पृथ्वी को कैसे दिया जीवनदान?

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कोरोना कहर के बीच आसमान में होने वाली अजीबों-गरबी गतिविधियों ने लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया है। यही कारण है कि, उल्का पिंड के बारे में लोग जानने के लिए इतने उत्सुक हो गये हैं कि, वो गूगल पर सबसे ज्यादा उल्का को सर्च करते हैं। लोगों में उल्का लेकर उत्सुकता इसलिए भी बढ़ती जा रही है। क्योंकि आये दिन आसमान में घटित होने वाली घटनाओं में सबसे ज्यादा उल्का पिंड से जुड़ी हुई घटनाएं हैं।

ऐसी ही एक रहस्यमय जानकारी उल्का पिंड को लेकर आयी है। जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। क्या आपको पता है जिस उल्का पिंड को लेकर पृथ्वी को खत्म करने की बार-बार चेतावनी जारी हो रही है। वहीं दूसरी तरफ एक ऐसा रहस्य है जिसके खुलते ही य़े बात सामने आयी है कि, जिस उल्का पिंड ने सालों पहले डायनासोर की जान ली थी उसी उल्का पिंड ने इंसानों को जीवन भी दिया।

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करोड़ साल पहले धरती पर उल्का पिंड आकर गिरा जिससे डायनोसॉर्स खत्म हो गए। यह बात तो शायद ज्यादातर लोगों को पता होगा लेकिन अब इस घटना से जुड़ी एक अहम बात सामने आई है। रीसर्चर्स को कुछ ऐसे सबूत मिले हैं जिनसे पता चलता है कि ऐसी ही किसी घटना से पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई होगी।

इस उल्का के धरती पर गिरने से चिक्सयूलब नाम का क्रेटर हुआ था और रीसर्चर्स को इसके नीचे मिले चट्टानों के सैंपल्स से पृथ्वी पर जीन शुरु होने से जुड़े अहम सबूत मिले हैं। दरअसल, उल्का के गिरने से इस क्रेटर के नीचे गरम पानी बहने लगा।

माइक्रोऑर्गैनिज्म्स के लिए ऐसी स्थिति अहम होती है। रीसर्चर्स का मानना है कि अरबों साल पहले ऐसी ही घटना हुई होगी जिससे पृथ्वी पर जीवन शुरू हुआ। इस स्टडी के लीड लेखक डॉ. डेविड क्रिंग के मुताबिक मंगल या सोलर सिस्टम के दूसरे ग्रहों पर जीवन खोजने के लिए यह एक अहम कड़ी साबित हो सकती है।

चिक्सयूलब के वीचे हाइड्रोथर्मल नेटवर्क कम से कम 10 लाख साल रहा होगा और इससे केमिकल और प्रोटीन बने जिससे लिविंग सेल्स बनने शुरू हुए। इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन, यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनब्र और ग्लासगो के साथ मिलकर यूनिवर्सिटी स्पेस रीसर्च असोसिएशन ने यह स्टडी की है।

इस स्टडी से इस थिअरी को भी सपॉर्ट मिलता है बंजर पड़ी पृथ्वी पर उल्कापिंडों की वजह से जीवन शुरू हुआ था, जो धरती पर आकर गिरे और धरती के अंदर से जरूरी एलिमेंट्स गरम पानी के झरनों के सहारे निकलने लगे। इन्हीं से DNA और RNA मॉलिक्यूल्स बने और जेनेटिक कोड की संरचना हुई। और इसी कारण ही पथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई है।

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इस खुलासे के बाद नासा के वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि, मंगल ग्रह पर जीवन ढूंढने में इससे मदद मिलेगी।

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