नई दिल्ली। आज एकादशी का व्रत है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में एकादशी के व्रत का बड़ा ही महत्व है। मान्यता है कि एकादशी के व्रत से भवनाव विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं। जिससे मानव के जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से उसको निजात मिल जाती है। हिन्दू धर्म में एकादशी का व्रत करना बड़े ही पुण्य का काम माना जाता है। इस व्रत के लिए व्रती को कोई बड़ा विधि-विधान नहीं करना होता है। इसलिए यह व्रत सहज और सरल होता है। इस अलग-अलग माह में ये व्रत आता है। हर व्रत का अपना महत्व और लाभ होता है।
आज हिन्दी महीने का भाद्रमास चल रहा है। जिसमें कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि आज है। इस एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस तिथि की धर्मशास्त्रों में बड़ी मान्यता दी गई है। बताया गया है कि इस तिथि को व्रत करने या पूजा-पाठ करने का बड़ा फल मिलता है। बताया जा है कि इस व्रत को करने से अश्वमेध यज्ञ करने का पुण्य मिलता है। मान्यता है कि जब अपना राजपाठ खोकर महाराजा हरिश्चन्द्र दरृदर की ठोकरें खा रहे थे तब ऋषि गौतम ने उन्हे यह व्रत करने के लिए कहा था। जिसके बाद उन्होने यह व्रत पूरी श्रद्धा के साथ किया और अपना खोया राजपाठ वैभव प्राप्त किया।
इस व्रत को करने से मिलने वाले श्रवमेध यज्ञ के बारे में रामायण के उत्तरकांड में भी आया है। इसके साथ ही महाभारत में भी अश्वमेध यज्ञ के बारे में विस्तार से आता है। उल्लेख है कि इस यज्ञ को करने से धरती पर मान-सम्मान प्रतिष्ठा के साथ धन-वैभव मिलता है। लेकिन अजा एकादशी को जो व्यक्ति इस व्रत को करता है। उसे इस व्रत के पुण्य के तौर पर इस यज्ञ का फल मिलता है। इसलिए इस व्रत का महत्व बढ़ जाता है।
पद्मपुराण में आता है कि इसदिन व्रत करने और भगवान विष्णु का पूजन करने से अक्षय पुण्य का लाभ मिलता है। इस दिन रात्रिकाल में भगवान का भजन और उनके अवतारों की लीलाओं का पाठ और श्रवण करना चाहिए। जिससे ये व्रत पूरा हो जाता है। जो मनुष्य किसी कारण यह व्रत नही रख पाते उन्हे इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करते हुए विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। इसदिन लहसुन, प्याज, चावल, मांस और शराब के सेवन से परहेज करना चाहिए । इसके साथ ही इसदिन भगवान का चिंतन और मनन करना चाहिए।