बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को 20 साल बाद काला हिरण मामले में 10 हजार रुपए का जुर्माना और पांच साल की सजा सुनाई गई है। अदालत ने इस फैसले से जहां ये एक तरफ ये साबित कर दिया कि उसके लिए चाहे कोई राजनेता हो, अभिनेता हो, कोई बड़ी शख्सियत हो या फिर कोई आम इंसान, सबके लिए कानून बराबर है वहीं दूसरी तरफ सलमान के साथ अन्य आरोपी सैफ अली खान, तब्बू, नीलम और सोनाली बेंद्रे को बरी करने से बिश्नोई समाज नाराज़ है। ये जाहिर है कि कोर्ट के इश फैसले का असर उनके फ्यूचर प्रोजेक्ट्स पर भी पड़ेगा। सलमान के साथ के फिल्म फाइनल कर चुके प्रोड्यूर्स के लिए कोर्ट का ये फैसला बुरी खबर है तो वहीं 20 साल से इस केस में जद्दोजहद कर रहे बिश्नोई समाज को राहत मिली है।
इस मामले में सलमान खान पर कांकाणी गांव केस, घोड़ा फार्म हाउस केस, भवाद गांव केस और आर्म्स केस थे। जिसमें से कांकाणी गांव केस के अलावा अन्य मामलों में सलमान बरी हो गए थे। घोड़ा फार्म हाउस केस में 10 अप्रैल 2006 को सीजेएम ने 5 साल की सजा हुई थी जिसके खिलाफ अभिनेता ने हाईकोर्ट में अपील की और 25 जुलाई 2016 को बरी हो गए। इसके अलावा आर्म्स एक्ट में कोर्ट ने तो सलमान को बरी कर दिया है लेकिन राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है। कांकाणी गांव केस सबसे मजबूत होने के कारण सलमान को इस मामले में सजा सुनाई गई है। सब सबूत उनके खिलाफ होने के चलते कोर्ट ने 5 साल की सजा और 10 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। 20 साल के इस लंबे समय में सलमान 18 दिन जेल में रहे हैं।
यह मामला 1998 का है जब सलमान के को-एक्टर्स सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे और नीलम के साथ ‘हम साथ साथ हैं’ फिल्म की शूटिंग के लिए जोधपुर गए थे। जहां शूटिंग कि दौरान इन सब लोगों ने दो काले हिरणों का शिकार किया था और वहां के स्थानीय लोगों ने उन्हें देख लिया। सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे और नीलम पर सलमान को उकसाने का आरोप है वहीं सलमान खान इस मामले में मुख्य आरोपी थे। चारों केसों में कांकाणी केस सबसे मजबूत है क्योंकि जब 1 अक्टूबर 1998 को स्टार्स ने हिरण का शिकार किया तो वहां के स्थानीय लोगों ने उन्हें देख लिया था बाकि दो शिकार मामले में इकलौता चश्मदीद हरीश दुलानी था, उसने भी बयान बदल लिए थे। उसने सलमान के अलावा दूसरे कलाकारों को पहचानने से इनकार कर दिया था। दूसरा कमजोर पक्ष यह भी था कि उसमें हिरणों के शव नहीं मिले थे।
आखिर कौन है ये बिश्नोई समाज और सलमान खान केस से क्या है रिश्ता?
बिश्नोई समाज राजस्थान के जोधपुर के पास पश्चिमी थार रेगिस्तान से आता है। जिन्हें प्रकृति से प्रेम के लिए जाना जाता है और ये लोग जानवरों को भगवान की तरह पूजते हैं यही वजह है।
टिप्पणियां बिश्नोई बीस (20) और नोई (9) से मिलकर बना है. इस समाज के लोग 29 नियमों का पालन करते हैं, जिनमें से एक नियम शाकाहारी रहना और हरे पेड़ नहीं काटना भी शामिल है. बिश्नोई समाज के ये 29 नियम क्या हैं? इन नियमों का पालन करने के लिए ये लोग अपनी जान तक पर खेल जाते हैं.
ये हैं बिश्नोई समाज के 29 नियम
- परोपकारी पशुओं की रक्षा करना
- अमल नहीं खाना
- तम्बाकू नहीं खाना
- भांग नहीं खाना
- मद्य तथा नहीं खाना
- नील का त्याग करना
- बैल को बधिया नहीं करवाना
- प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करना
- 30 दिन जनन – सूतक मानना
- 5 दिन रजस्वता स्री को गृह कार्यों से मुक्त रखना
- वाद–विवाद का त्याग करना
- अमावश्या के दिनव्रत करना
- विष्णु का भजन करना
- जीवों के प्रति दया का भाव रखना
- हरा वृक्ष नहीं कटवाना
- ल का पालन करना
- संतोष का धारण करना
- बाहरी एवं आन्तरिक शुद्धता एवं पवित्रता को बनाये रखना
- तीन समय संध्या उपासना करना
- संध्या के समय आरती करना एवं ईश्वर के गुणों के बारे में चिंतन करना
- निष्ठा एवं प्रेमपूर्वक हवन करना
- पानी, ईंधन व दूध को छान-बीन कर प्रयोग में लेना
- वाणी का संयम करना
- दया एवं क्षमाको धारण करना
- चोरी नहीं करना
- निंदा नहीं करना
- झूठ नहीं बोलना
- काम, क्रोध, मोह एवं लोभ का नाश करना
- रसोई अपने हाध से बनाना