नैनीताल। कुमांऊ की पहाड़ियों में पिछले 15 दिनों से लगी आग को बुझाने में सफलता अभी तक नही मिल पाई। जिम्मेदार अधिकारियों को कुछ भी पता नही है कोई भी अधिकारी जंगलांे की ओर जाकर नही देख रहे। इस दावाग्नि से जंगली पशु-पक्षी और कई लोग भी जलकर मर चुके है। इन जलती पहाड़ियों के धुएं से गाँवो में रह रहे लोगांे को अब सांस लेने में भी परेशानी होने लगी है। पहाड़ो से लगे मैदानी शहरो में भी धुएं के कारण आंखो में जलन व सांस लेने में घुटन हो रही है। विभाग के साथ मिलकर वन माफियाओ द्वारा जंगलो से अवैध कटान कर उन कटे खूंटो को मिटाने के लिए हर साल जंगलों को आग के हवाले किया जाता रहा है।
जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए भारतीय वायु सेना के चैपरों का सहयोग लिया जा रहा है लेकिन जंगलो में धुएं के कारण चैपरों से गिराया जा रहा पानी भी आग को नही बुझा पा रहा है। केन्द्र सरकार ने भी मदद के लिए कदम बढ़ाये है। सरकार द्वारा जन सहभागिता से इस भीषण आग पर काबू पाये जाने का प्रयास किया जा रहा है। जिस तरह पहले भी जंगलों की आग को वन विभाग व जन सहभागिता के पारम्परिक साधनों द्वारा बुझाया जाता था।
आग से निकलने वाली राख व धंुए से हवा जहरीली हो चुकी है। जिससे पर्यावरण दूषित हो रहा है। जिससे आने वाले समय में इंसानो को किसी भी नई बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। सरकार को इसके लिए कोई ठोस नीति बना कर जल,जंगल,जमीन को बचाना होगा। जिससे मानव तथा जीव जंतुओ पर कभी इस तरह का संकट ना आये। प्राणवायु देने वाले इन वनो को अब हरा-भरा होने में एक लम्बा समय जरूर लगेगा।