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होलका दहन के लिए सात वर्षों में बन रहा विशेष संयोग, इस तरह करें होलिका दहन

holi dahan होलका दहन के लिए सात वर्षों में बन रहा विशेष संयोग, इस तरह करें होलिका दहन

एजेंसी, नई दिल्ली। रंगों का त्योहार होली इस बार चैत कृष्ण प्रतिपदा गुरुवार 21 मार्च को मनेगी। इससे एक दिन पूर्व 20 मार्च को होलिका दहन होगा। होलिका दहन पर इस बार दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। इन संयोगों के बनने से कई अनिष्ट दूर होंगे। दूसरी ओर फाल्गुन कृष्ण अष्टमी14 मार्च से होलाष्टक की शुरुआत हो गयी है। होलाष्टक आठ दिनों को होता है। ज्योतिषाचार्य प्रियेंदू प्रियदर्शी ने धर्मशास्त्रों के हवाले से बताया कि लगभग सात वर्षों के बाद देवगुरु बृहस्पति के उच्च प्रभाव में गुरुवार को होली मनेगी। इससे मान-सम्मान व पारिवारिक शुभ की प्राप्ति होगी। राजनीति की वर्ष कुंडली के अनुसार नए वर्ष में नए नेताओं को लाभ मिलेगा।

इस बार उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में होली मनेगी। यह नक्षत्र सूर्य का है। सूर्य आत्मासम्मान, उन्नति, प्रकाश आदि का कारक है। इससे वर्षभर सूर्य की कृपा मिलेगी। आचार्य के मुताबिक जब सभी ग्रह सात स्थानों पर होते हैं वीणा योग का संयोग बनता है। होली पर ऐसी स्थिति से गायन-वादन व नृत्य में निपुणता आती है।

होलिका दहन इस बार पूर्वा फाल्गुन नक्षत्र में है। यह शुक्र का नक्षत्र है जो जीवन में उत्सव, हर्ष,आमोद-प्रमोद, ऐश्वर्य का प्रतीक है। भस्म सौभाग्य व ऐश्वर्य देने वाला होता है। होलिका दहन में जौ व गेहूं के पौधे डालते हैं। फिर शरीर में ऊबटन लगाकर उसके अंश भी डालते हैं। ऐसा करने से जीवन में आरोग्यता और सुख समृद्धि आती है।

20 मार्चकी रात्रि 8.58 से रात 12.05 बजे। भद्रा का समय, भद्रा पुंछ : शाम 5.24 से शाम 6.25 बजे तक। भद्रा मुख : शाम 6.25 से रात 8.07 बजे तक।

अगजा की धूल से होली की शुरुआत होती है। होलिका दहन की पूजा और रक्षो रक्षोघ्न सूक्त का पाठ होता है। अगजा की तीन बार परिक्रमा की जाती है। अगजा में लोग गेहूं,चना व पुआ-पकवान अर्पित करते हैं। अगजा के बाद सुबह में उसमें आलू, हरा चना पकाते और ओरहा खाते हैं। नहा धोकर शाम में मंदिर के पास जुटते हैं। नए कपड़े पहनकर भगवान को रंग-अबीर चढ़ाते हैं।

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