मथुरा। धूल होली के बाद भी बृज में होली की खुमारी उतरने का नाम नहीं ले रही है, और आज इसी खुमारी के क्रम के बृज के राजा कहे जाने वाले बलदाऊ जी की नगरी बल्देव में हुरंगे का आयोजन किया गया बलदेव के मुख्य दाऊजी मंदिर प्रांगण में खेला गया। इस हुरंगे में भाभी द्वारा देवर के कपडे फाड़ कर की प्यार भरी तीखी नौक-झोंक होने की वजह से इसे कपड़ा फाड़ होली भी कहा जाता है।
बृज में होने वाले 45 दिन के होली उत्सव के दौरान आज बृज के राजा बलदाऊ जी की नगरी बल्देव में आज हुरंगे का आयोजन किया गया। बृज में वैसे तो इस पूरे होली उत्सव के दौरान राधा-कृष्ण की होली की ही धूम रहती है लेकिन बलदेव में आयोजित किये जाने वाले इस हुरंगे की खास बात ये है कि यहाँ बलदाऊ जी कि नगरी होने की वजह से देवर-भाभी की होली खेली जाती है। मंदिर प्रांगण में खेली जाने वाली इस होली का यहाँ व्यापक रूप देखने को मिलने की वजह से इसे हुरंगा कहा जाता है।
इस होली की परम्परा ये रही है कि इसमें सिर्फ बल्देव के पाण्डेय समाज की महिलाऐं और पुरुष ही शामिल होते है सबसे पहले मंदिर प्रांगण में इकठ्ठा हुई हुरियारिन भाभी और हुरियारे देवर बल्दाऊ जी के मुख्य भवन की परिक्रमा करते है और जैसे ही मंदिर के मुख्य भवन के अन्दर से ऊंची केसरिया झंडी बाहर प्रांगण में आती है तो यहाँ मौजूद हुरियारिन अपने हुरियारे देवरों के कपडे फाड़ना शुरू कर देती है इसके बाद इन कपड़ों को टेसू के फूलों से बने रंगों में भिगोया जाता है और फिर भाभी इसे कोड़ा बनाकर देवर को मारती है अपना बचाव करने के लिये देवर भी बाल्टी में रंग भरकर भाभी के ऊपर डालते है।
-योगेश भरद्वाज