नई दिल्ली। लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है। यहां ऐसी कई ऐतिहासिक चीजें हैं जिसे लोग दूर दूर से देखने आते हैं। लेकिन उन सभी चीजों के अलावा इस नवाबों के शहर में मौजूद हैं वो इमारत जो 1857 की क्रांति का गवाह बनी हैं। जो बयां करती हैं हमारे क्रांतिकारियों के 1857 का वो दौर जिसनें ब्रिटिश फौजों को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया और न सिर्फ विवश किया बल्कि देश के वीरों ने ब्रिटिश हुकूमत को नाकों चने चबवाए। इस दिन मचे गदर ने लखनऊ की रेजीडेंसी में कुछ ऐसे निशान छोड़े जो आज भी 1857 की क्रांति का गवाह बनती है।
खंडरों और इमारतों पर प्रभाव 1857 की क्रांति का प्रभाव
लखनऊ रेजीडेंसी शहर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतों में शुमार है। इसका निर्माण नवाब आसिफद्दौला ने 1775 में शुरू करवाया था, जिसे नवाब सआदत अली ने 1800 ई. में पूरा कराया। इस इमारत में छह बड़े-बड़े परिसर हैं। गोमती किनारे 33 एकड़ में फैली इस इमारत में 1857 की क्रांति के दौरान क्रांतिकारियों ने अंग्रेज अफसरों को 86 दिनों तक घेरे रखा।
इस संघर्ष के दौरान क्रांतिकारियों ने अंग्रेज कमांडर सर हेनरी लॉरेंस को मौत की नींद सुला दिया था। रेजिडेंसी की दीवारें आज भी गोलियों और गोलों के छेद से पटी पड़ी हैं। हालांकि आज के समय में बड़े-बड़े लॉन और फूलों की क्यारी रेजिडेंसी की खूबसूरती में चार चांद लगाकर पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
इतिहास के पन्नों में दर्ज
1857 की क्रांति से इस इमारत का गहरा ताल्लुक रहा है। क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों से अपनी आजादी की पहली लड़ाई यही लड़ी, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज है। इसी लड़ाई के बाद हर वर्ग के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
रेजिडेंसी में मौजूद चर्च के पास करीब 2000 अंग्रेज अधिकारियों और उनके परिवार की कब्रगाह है। वहीं पर मौजूद सर लॉरेंस की कब्र पर लिखा है ‘यहां पर सत्ता का वो पुत्र दफन है जिसने अपनी ड्यूटी के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी’।
इसी कब्रगाह के पास मौजूद एक दूसरी कब्र पर लिखा है ‘रो मत मेरे बेटे, मैं मरा नहीं हूं, मैं यहां सो रहा हूं’। रेजिडेंसी में उसके इतिहास को प्रदर्शित करती है। लखनऊ रेजिडेन्सी के अवशेष ब्रिटिश शासन की स्पष्ट तस्वीर पेश करते हैं।
रेजिडेंसी अवध प्रांत की राजधानी लखनऊ में रह रहे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों का निवास स्थान हुआ करती थी। जिसके प्रमुख भवनों में बैंक्वेट हॉल, डॉक्टर फेयरर का घर, बेगम कोठी, और उसके पास मौजूद एक मस्जिद जो आज भी अस्तित्व में है जहां आज भी नमाज अदा होती है। तो अगर आप भी उस समय के दौर को महसूस करना चाहते हैं तो एक बार विश्व प्रसिध्द लखनऊ रेजीडेंसी में जरुर जाएं।