दिल्ली एनसीआर के गुरुग्राम में जुमे की नमाज को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल हिंदू संठगनों ने शुक्रवार की नमाज को लेकर आपत्ति जताई है। इन्होंने 10 जगहों पर खुले में जुमे की नमाज पढ़ने पर रोक लगाई है। इसके साथ इन्होंने प्रशासन को चोतावनी देते हुए कहा है कि यदि इन्हें सार्वजनिक स्थलों पर खुले में नमाज पढ़ने से नहीं रोका गया तो ये लोग विरोध करते रहेंगे। हालंकि किसी हिंसक झड़प की कोई खबर नहीं है लेकिन इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है।
गौरतलब है कि इनमें गुरुग्राम के सेक्टर 53 का वो खाली प्लॉट भी शामिल है, जहां पिछले महीने लोगों को नमाज पढ़ने को लेकर विवाद बढ़ गया था। इन संगठनों के लोगों द्वारा सिकंदरपुर, इफ्को चौक, अतुल कटारिया चौक, एमजी रोड और साइबर पार्क के नजदीक स्थित एक प्लॉट के पास भी विरोध जताया गया।
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हिन्दू संयुक्त संघर्ष समिति के बताये जा रहे इन सदस्यों का कहना है कि नमाज पढ़ने की अनुमति रोड के किनारे, पार्क और खाली पड़ी सरकरी जमीनों पर नहीं है। नमाजियों का आरोप है कि इस समिति के सदस्यों ने उन्हें कई जगह नमाज पढ़ने से रोका। इस बाबत नेहरू युवा संगठन वेलफेयर सोसाइटी चैरिटबल ट्रस्ट के प्रमुख वाजिद खान ने कहा कि गुरुवार को पुलिस के साथ हुई मीटिंग में सहमति बनी कि तीन जगहों पर नमाज नहीं पढ़ेंगे। उन्होंने बताया कि 34 जगहों पर नमाज न पढ़ने के लिए कहा गया था जिनमें सेक्टर 53 का प्लॉट, सिकंदरपुर और अतुल कटारिया चौक की जगहों पर सहमति बन गई थी। इन जगहों पर नमाजियों की भीड़ की वजह से ट्रैफिक जाम लगता है।
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समिति के नेता राजीव मित्तल ने कहा कि वो मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है लेकिन जहां नमाज की अनुमति नहीं है, वहां नमाज नहीं पढ़ी जानी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि उनके लोग अतुल कटारिया चौक, सेक्टर 40 और सिकंदरपुर में नमाज पढ़ने से रोकने गए थे। वजीराबाद मामले में पुलिस से शिकायत करने वाले हाजी शहजाद खान ने कहा कि नमाज पढ़ने से 10 जगह लोगों को क्यों रोका गया। समिति के इन लोगों को कानून हाथ में लेने की अनुमति किसने दी है? खान ने कहा कि गुरुग्राम में केवल 22 मस्जिदें हैं और 7 लाख से अधिक मुस्लिम हैं। ऐसे में उनके पास बहुत अधिक विकल्प नहीं बचते हैं। नमाज के लिए हम किसी को परेशान नहीं करते हैं।
बता दें कि मुसलमानों में जुमे की नमाज का निशेष महत्व है। इस्लाम धर्म को मानने वाले पांच टाइम की नमाज करते हैं लेकिन जो लोग रोज नमाज नहीं पढ़ पाते वह शुक्रवार के दिन मस्जिद जाकर अल्लाह की इबादत करते हैं, इसलिए इस दिन लोग ज़ौहर की नमाज यानि कि दोपहर की नमाज मस्जिद में पढ़ना जरूरी होता है, जिस कारण भारी भीड़ की वजह से मस्जिद के बाहर तक सड़क पर ही नमाज अदा करते हैं। हिंदू संगठनों ने इसी बात को लेकर आपत्ति जताई है।