अहमदाबाद। गुजरात के बहुचर्चित दंगें गोधरा कांड को लेकर सोमवार को हाई कोर्ट में फैसला आ सकता है। इस मामले में जो एसआईटी बनाई गई उस की और से 11 मार्च 2011 को 31 दोषियों को सजा दी गई। गोधरा कांड 27 फरवरी 2002 में गुजरात के गोधरा में हुआ था। जिसमें साबरमती एक्सप्रेस की S-6 बोगी को जला दिया था। कहा जाता है कि उस बोगी में करीब 59 लोग मौजूद थे। साथ ही ये भी बताया जाता है कि उन मौजूद लोगों में ज्यादातर आयोध्या से लौट रहे कार सेवक थे।
बता दें कि इस मामले में कोर्ट ने 11 लोगों को फांसी की सजा तो 20 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट के फैसले के खिलाफ कुछ लोगों ने सुनाई गई सजा पर याचिका दायर की थी। जिसका फैसला सोमवार को आ सकता है। गोधरा कांड में करीब 1000 लोग मारे गए थे। इसी मामले में पिछले हफ्ते हाई कोर्ट ने जाकिया जाफरी मामले में दोबारा जांच आदेश देने से मना कर दिया था।
वहीं गोधरा कांड को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने कहा था कि गुजरात दंगों को लेकर दोबारा सुनवाई नहीं होगी। गुजरात में हुए दंगों के बाद तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को दी गई क्लीन चीट बरकरार रहेगी। हाई कोर्ट ने जाकिया जाफरी की बड़ी साजिश वाली बात से भी इंकार कर दिया है। हालांकि वह आगे अपील कर सकती हैं। याचिका में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी के सामने इस याचिका पर सुनवाई इस साल 3 जुलाई को पूरी हुई थी।