नई दिल्ली। बीते 31 अक्टूबर की शाम भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन के समीप 19 वर्षीय छात्रा के साथ 4 घंटे तक 4 लोगों ने हैवानियत का नंगा नाच किया। किसी तरह से वह मासूम जीआरपी को थाने तक आई। इस घटना के बारे में पुलिस के साथ अपने घर वालों को जानकारी दी। पहले तो शिवराज सरकार की चौकन्नी पुलिस मामले को लेकर टाल मटोल करती रही। लेकिन मीडिया में आने के बाद पुलिस से लेकर शासन तक ने हरकत दिखाई।
इसके बाद खुद एक पुलिस की आला अफसर आईपीएस ने हंसी में मामले को लेकर सरकार और पुलिस के मुंह पर जोरदार तमाचा मारते हुए महिला के नाम को कलंकित करने का काम कर दिया। हद तो और भी ज्यादा हो गई जब जिस अस्पताल में पीड़िता का मेडिकल हुआ वहां की दो अनपढ़ टाइप की डॉक्टरों ने इतने संवेदनशील मामले की रिपोर्ट तैयार करते हुए ये लिख दिया कि पीड़िता अभियुक्त है और इसकी सहमति से संबंध बनाए गए थे।
हांलाकि बाद में इस मामले में पुलिस ने स्वीकार किया कि भूलवश ये लिख गया है। लेकिन जब खबरें समाचार पत्रों के जरिए प्रकाशित हुईं तो हाईकोर्ट के न्यायधीश हेमंत गुप्ता ने इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर लेते हुए। राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।