नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही। गुरुवार को केजरीवाल को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है क्योंकि कोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं जिसकी वजह से संसदीय सचिवों के पद पर बैठे विधायकों की सदस्यता भी खतरे में पड़ सकती है। बता दें कि पिछले साल के मध्य में इस संबंध में कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी और तब से इस मामले पर सुनवाई जारी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हाई कोर्ट ने कहा की दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना की इसलिए उन्हें असंवैधानिक मानकर रद्द किया जाता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और आर्टिकल 239एए के तहत इस तरह की नियुक्ति करने के लिए उपराज्यपाल की मंजूरी लेना जरुरी है।
अपना आदेश जारी करते हुए कोर्ट ने आगे कहा पिछले महीने हमने उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर अपना फैसला सुना दिया है और उसके आधार पर ये नियुक्ति अवैध इसलिए कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के मार्च 2015 के उस नोटिफिकेशन को भी रद्द कर दिया जिसमें 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई थी।
कोर्ट ने आगे कहा केंद्र सरकार उपराज्यपाल के माध्यम से ये तय कर सकती है कि इस मामले में क्या कार्रवाई की जा सकती है? अगर उपराज्यपाल चाहें तो 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर अब तक खर्च हुए सरकारी पैसे की रिकवरी कर सकते हैं, साथ ही उनकी मंजूरी न लेने को लेकर भी कोई कारवाई की जा सकती है।