नैनीताल।रूड़की के निवासी पवन कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड की हाईकोर्ट नैनीताल ने सूबे के उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति पीयूषकांत दीक्षित की नियुक्ति पर सवालिया निशान लगा दिया है। अब इस बारे में कुलपति को कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए अपना जवाब आने वाली 3 अक्टूबर तक कोर्ट में दाखिल करना है। इसके साथ ही अब इस मामले की सुनवाई कोर्ट आने वाली 4 अक्टूबर को करेगा। य़ाचिका कर्ता ने दीक्षित के चयन और नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर ये जनहित याचिका की है।
पवन का आरोप है कि दीक्षित की नियुक्ति इस पद पर गलत तरीके से की गई है। उन्होने इस पद के लिए लगाए प्रमाण पत्र गलत तरीके से हासिल किए हैं। पवन का आरोप है कि वर्तमान कुलपति ने महज 11 साल की आयु में हाईस्कूल की परीक्षा कैसे उत्तीर्ण कर ली । मौजूदा प्रमाणपत्र में दीक्षित 11 साल की आयु में मध्यमा की परीक्षा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से सन 1975 में पास करते हैं। उस वक्त उनकी आयु 11 साल की थी। इसी क्रम में उन्होने उत्तर मध्यमा 1977 में शास्त्री 1979 और आचार्य1982 में उत्तीर्ण की है। इसी विश्वविद्यालय से सन 1990 में आपने पीएचडी भी की है।
अब ये कैसे हो सकता है कि 11 साल में हाईस्कूल 13 में इंटर और 15 में कोई स्नातक की परीक्षा पास कर सकता है। ये सब गलत तरीके से हासिल किए गए प्रमाण पत्रों के आधार पर ही संभव है। याची ने इस आधार पर न्यायालय से प्रार्थना करते हुए उक्त प्रमाणपत्रों के सत्यापन और जांच के लिए अनुरोध किया है। हाईकोर्ट में मुख्यन्यायधीश केएम जोसफ और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की बेंच ने इसकी सुनवाई करते हुए इस मामले में कुलपति पीयूष कांत दीक्षित को 3 अक्टूबर तक अपना जवाब दाखिल करने के लिए आदेशित किया है।