नई दिल्ली। आधार कार्ड को अनिवार्य करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज पांच जजो की खंडपीठ ने सुनवाई की। इस दौरान पीठ ने अलग-अलग सरकारी योजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं से आधार को जोड़ने के केंद्र के फैसले पर अंतरिम रोक की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए कल का दिन निश्चित कर दिया है। अटर्नी जनरल के.के.वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार आधार को जोड़ने की अनिवार्यता की समय सीमा को बढ़ाकर 31 मार्च तक कर दिया गया है। बता दें कि कोर्ट ने 27 नवंबर को कहा था कि वो अलग-अलग योजनाओं को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने के केंद्र के कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के गठन पर विचार कर सकता है। वहीं कोर्ट ने इससे पहले 30 अक्टूबर को कहा था कि संविधान पीठ नवंबर के आखिरी सप्ताह से आधार योजना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 25 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य रूप से जोड़ने की समयसीमा उन लोगों के लिए 31 मार्च 2018 तक बढ़ा दी गई है। सरकार ने कहा था कि जिनके पास 12 अंकों की विशिष्ठ बायोमीट्रिक पहचान संख्या नहीं है, लेकिन कई लोग इसे बनवाने के इच्छुक हैं। अटॉनी जनरल ने न्यायालय को बताया था कि उन लोगों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी जिन्होंने आधार कार्ड नहीं बनवाया है, लेकिन वे इसे बनवाना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि ऐसे लोगों को 31 मार्च तक सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने से मना नहीं किया जाएगा।
सरकार ने न्यायालय में कहा था कि जिन लोगों के पास आधार कार्ड है उन्हें इसे सिम कार्ड, बैंक खाते, पैन कार्ड और अन्य योजनाओं से जुड़वाना होगा। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाकतार्ओं ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण संख्या को बैंक खातों और मोबाइल नंबर से जोड़ने को गैरकानूनी तथा असंवैधानिक बताया है। उन्होंने सीबीएसई के छात्रों के परीक्षाओं के लिए बैठने के वास्ते आधार को अनिवार्य बनाने के कथित कदम पर भी आपत्ति जताई है हालांकि केंद्र सरकार ने इसे खारिज किया है।