राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 29 जनवरी तक के लिए टाल दी है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में मसले की सुनवाई शुरू हुई तो कई अड़चनों को देखते हुए सुनवाई टाल दी। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन के ने जस्टिस यूयू ललित के बेंच में होने पर सवाल उठाया। वहीं हिंदू महासभा के वकीलों का भी कहना है कि इस मसले से जुड़े दस्तावेजों का अनुवाद हुआ है उसकी जांच होनी चाहिए।
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उक्त दो मुख्य कारणों को देखते हुए ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को 29 जनवरी तक के लिए टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 29 जनवरी तक इस मसले पर नई बेंच का गठन किया जाएगा। साथ ही कोर्ट ने कहा कि दस्तावेजों के अनुवाद की पुष्टि नए रूप से की जाएगी। मालूम हो कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किये गए दस्तावेज में कुल 18836 पेज हैं। इसके अलावा जो भी हाई कोर्ट का फैसला है वह 4304 पेज है। मामले से जुड़े मूल दस्तावेज अरबी, फारसी, संस्कृत, उर्दू और गुरमुखी में लिखे गए हैं।
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वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा कि जिन पार्टियों ने इन दस्तावेजों का ट्रांसलेशन किया है उसकी पुष्टि होनी भी जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पुष्टि को भी 29 जनवरी तक पूरा करने को कहा है। बता दें कि इससे पहले भी जब में मामला सुप्रीम कोर्ट में आया था तब कुल 9000 पन्नों के दस्तावेज, 90000 पन्नों में हिन्दी-अरबी-उर्दू-फारसी-संस्कृत के धार्मिक दस्तावेज थे। इनको तत्कालीन चीफ जस्टिक दीपक मिश्रा की बेंच के सामने सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अनुवाद करवाने की अपील की थी।
जाहिर सी बात है इतने कम समय में इतनी अधिक संख्या में दस्तावेजों का वेरिफेकशन करना नामुमकिन है।मालूम हो कि पहले भी हिन्दी भाषा में अनुवाद किया गया था तो वकीलों ने अंग्रेजी में अनुवाद मांगा था। जिसके बाद यूपी सरकार को सभी दस्तावेजों को ट्रांसलेट करवाने में 4 महीने लगा था।