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सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ आधार समेत आठ मामलों की कल करेगी सुनवाई

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नई दिल्ली। पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा प्रेस वार्ता करने के बाद चर्चा में आया सुप्रीम कोर्ट का कामकाज सोमवार से एक बार फिर सही तरीके से चल रहा है। सभी जज अपने मामलों की सुनवाई के लिए कोर्ट पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ बुधवार को आधार कार्ड और इसके अलावा अन्य आठ मामलों की सुनवाई करेगी।

इन मामलों में आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता, महिलाओं का केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर बंदिश और हिंदू से विवाह के बाद पारसी महिला की धार्मिक पहचान बदलने के मामले शामिल हैं।  आधार से जुड़े मामले की बात करें तो इसको लेकर क्या आधार वयक्ति की निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। इसी सवाल का जवाब देने के लिए पांच न्यायाधीशों की पीठ गठित की गई है। हाल में आधार को आवश्यक रूप से सभी सेवाओं, बैंक खातों, मोबाइल फोन आदि से लिंक करने की तिथि 31 मार्च 2018 कर दी गई थी।

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जोसेफ साइन बनाम केंद्र सरकार 
इस मामले में संविधान पीठ देखेगी कि क्या परस्त्रीगमन को दंडित करने तथा इससे संबंधित आईपीसी की धारा को संवैधानिक घोषित करने वाले पूर्व के फैसलों पर फिर से विचार करने की जरूरत है। खासकर सामाजिक प्रगति, मूल्यों में बदलाव, लैंगिक समानता और लैंगिक संवैदनशीलता को देखते हुए क्या यह जरूरी है। पूर्व के फैसलों में जस्टिस वाई.वी. चंद्रचूड़ ने प्रावधान को वैध घोषित करते हुए कहा था कि इससे संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं होता। अब दशकों बाद उनके पुत्र जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने इस मामले को विचार के लिए स्वीकार करते हुए टिप्पणी की है कि महिला को वस्तु नहीं समझा जा सकता।

यंग लायर्स एसोसिएशन बनाम केरल राज्य 
यह संवेदनशील मामला केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं (10 से 50 वर्ष की) के प्रवेश का है। याचिका में कहा गया है कि महिलाओं के प्रवेश पर रोक लैंगिक समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत राज्य  
संविधान इस मामले दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले पर फिर से विचार करेगी, जिसने समलैंगिक सबंधों को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 377 को वैध ठहराया था।

गूलरोख एम. गुप्ता बनाम सैम रूसी चौथिया  
पीठ फैसला करेगी कि पारसी महिला के विशेष विवाह कानून (स्पेशल मैरिज एक्ट) के तहत दूसरे धर्म में विवाह करने पर उसका धर्म क्या होगा। हिंदू व्यक्ति से विवाह करने पर इस महिला को पारसियों ने धर्म से बाहर कर दिया था।

पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन बनाम भारत राज्य 
इस मामले  में कोर्ट फैसला करेगा कि आपराधिक मामलों को सामना कर रहे कानून निर्माताओं को ट्रायल कोर्ट में आरोप तय होने के बाद चुनाव के लिए अयोग्य ठहरा दिया जाना चाहिए। इसके अलावा संविधान पीठ के समक्ष उपभोक्ता मामले में जवाब देने के लिए समय की सीमा और बिक्री कर के दो मामले भी हैं।

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